Ramazan Special: इस्लाम की बुनियाद जिन पांच चीजों पर टिकी है उसमें से रोजा एक है. यानी कि हर मुस्लमान मर्द औरत पर रोजा फर्ज है. कोई इंसान जब रोजा रहता है तो वह पूरे दिन कुछ नहीं खाता पीता. इसके साथ बहुत सारी चीजें हैं, जिनसे इंसान बचने की कोशिश करता है. इससे उसका रोजा मुकम्मल होता है. आइए जानते हैं कि वह कौन सी चीजें हैं जिनसे रोजेदार को रोजे की हालत में बचना चाहिए.


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रोजे की हालत में इन चीजों से बचें
रोजे की हालत में फिजूल की बातों और बेहूदा बातों से बचना चाहिए. रोजे की हालत में रेडियो और टीवी पर बेहूदा प्रोग्रामों को नहीं सुनना चाहिए. ताश, शतरंज और शर्त लगाने वाले दीगर खेल से भी परहेज करना चाहिए. रोजे की हालत में फुहश, नाविल अफसाने और ड्रामों को न तो देखना चाहिए और न ही पढ़ना चाहिए. दोस्त अहबाब के साथ खुश गप्पियां, चुगलियां बेहूदा मजाक और दूसरी हरकतों से भी दूर रहना चाहिए.


परहेज पर हदीस
इस बारे में प्रोफेट मोहम्मद स0 ने फरमाया है कि "रोजा सिर्फ खाना पीना छोड़ने का नाम नहीं है. रोजा तो लगू और रफ्स से बचने का नाम है. इसलिए अगर तुझको कोई बुरा भला कहे या तेरे साथ जिहालत से पेश आए तो तू कह दे मैं तो भाई रोजेदार हूं."


झूठ से बचना चाहिए
अक्सर लोग रमजान में कारोबार करते हुए झूठ बोल देते हैं. रोजे की हालत में झूठ से बचने को बताया गया है. रोजे की हालत में झूठ नहीं बोलना चाहिए, किसी से धोखाधड़ी नहीं करनी चाहिए. वैसे भी मुसलमान को झूठ बोलने और धोखा देने से परहेज करना चाहिए, लेकिन रमजान में इसका और ज्यादा ख्याल रखने की हिदायत दी गई है. 


झूठ पर हदीस
इस बारे में प्रोफेट मोहम्मद स0 ने फरमाया है कि "जिस शख्स ने झूठ बोलना और झूठ पर अमल करना न छोड़ा तो अल्लाह को कोई जरूरत नहीं है कि ऐसा शख्स अपना खाना पीना छोड़े."


झगड़े से बचना
इसी तरह से अगर कोई शख्स लड़ने-झगड़ने या गाली गलौज करने लगे तो रोजेदार को चाहिए कि उसको नजरअंदाज करे. एक रोजदार अपने अमल से दूसरे शख्स को ये एहसास दिला दे कि रोजे के दौरान लड़ाई झगड़ों से बचना चाहिए और बर्दाश्त करना चाहिए. 


हदीस
एक हदीस में प्रोफेट मोहम्ममद फरमाते हैं कि "कितने ही रोजेदार हैं जिनको सिवाय प्यास के, रोजा रखने से कुछ नहीं मिलता शब बेदार हैं, जिनको बेख्वाबी के सिवा कुछ हासिल नहीं होता."