जयपुरः गोहत्या के नाम पर पुलिस बेकसूरों को भी मामले में आरोपी बना रही है. मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली एक संगठन ने इतवार को इल्जाम लगाया है कि राजस्थान के टोंक जिले में पुलिस ने गोहत्या मामले में जिस शख्स को आरोपी बनाया है, वह दरअसल एक व्हिसलब्लोअर है. व्हिसलब्लोअर इस्लाम ने टोंक के दतवास पुलिस थाने में गोहत्या के एक मामले के बारे में अफसरों को सूचित किया था. लेकिन पुलिस ने अन्य आरोपियों के साथ सूचना देने वाले शख्स को ही इस केस में मुल्जिम बना दिया. 


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पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की राज्य अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने दावा किया है कि उनकी सराहना करने के बजाय, उन्हें एक आरोपी बना दिया गया. कुछ अन्य लोगों को भी, जिनकी इस मामले में कोई भूमिका नहीं थी, उन्हें झूठा फंसाया गया. संगठन ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है. श्रीवास्तव ने अपने पत्र में मांग की है कि जांच एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में होनी चाहिए, न कि स्थानीय पुलिस स्टेशन के कर्मियों द्वारा. उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस मामले में निष्पक्ष नहीं है.


गौरतलब है कि शुक्रवार को पुलिस ने 17 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और आरोपियों में इस्लाम का भी नाम था.श्रीवास्तव ने कहा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और जिनकी इस मामले में कोई भूमिका नहीं है, उन्हें गलत तरीके से फंसाया नहीं जाना चाहिए. पत्र में, उसने यह भी बताया कि कुछ अज्ञात लोगों ने मस्जिद में तोड़फोड़ की थी और इस मामले में शुक्रवार को एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी. संपर्क करने पर टोंक जिले की पुलिस ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है.


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