Importance of Hajj: इस्लाम में हज इतना अहम क्यों हैं, कैसे हुई इसकी शुरूआत?: हज इस्लाम के पांच बुनियादी सुतून (खंभा) में से एक है. हर साल दुनियाभर से हज करने के लिए सऊदी अरब के मक्का में लाखों मुसलमान इकट्ठा होते हैं. इस बार हज 26 जून से 1 जुलाई तक जारी रहेगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार पूरी दुनिया से हज के लिए 1 करोड़ मुसलमान इकट्ठा होंगे. 


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हाल ही के कुछ सालों में बहुत कम लोगों ने हज किया है. इसकी वजह कोरोना थी. लेकिन अब कुछ शर्तों के साथ हज करने के लिए लोगों को इजाजत दी गई है. 


ये लोग करते हैं हज


इस्लाम धर्म में हज बेहद जरूरी होता है. हर वह शख्स जिसके पास पैसे हैं और शारीरिक व आर्थिक रूप से सक्षम है. उसे हज करना जरूरी है. यह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस्लाम धर्म के मुताबिक अल्लाह की खुशी के लिए मुसलमान को अपनी जिंदगी में एक बा हज के लिए जाना चारिए.


इस्लाम के 5 स्तंभ


तौहीद- खुदा को एक मानना और उसकी ही इबादत करना
सलात- हर दिन पांच वक्त नमाज
जकात- अपनी कमाई का कुछ हिस्सा लोगों में दान करना
रोजा- साल में एक माह उपवास रखना
हज- जिंदगी में कम से काम एक बार तीर्थ यात्रा पर जाना


तौहीद, नमाज और रोजा और हर मुसलमान के लिए फर्ज यानी जरूरी होता है. लेकिन जकात और हज के मामले में थोड़ी है. ये दोनों चीजें उन लोगों के लिए जरूरी है जिनके पास पैसा हो या वे आर्थिक रूप से संपन्न हों.


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कब होता है हज?


हर साल अरबी के जिलहिज्ज महीने में हज होता है. हजज सऊदी अरब के मक्क शहर में होता है. मक्का शहर में ही काबा शरीफ है. इसे अल्लाह का घर कहा जाता है. यह पत्तथर से बनी एक छोटी सी इमारत है. यहीं पर दुनियाभर के मुसलमान हजज करने के लिए इकट्टा होते हैं. 


पैगंबन ने बनाया काबा


इस्लाम धर्म के मुताबिक प्रोफेट मोहम्मद से पहल कई पैगंबर आए. इनमें से एक थे पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम. इन्हें अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने को कहा था. अल्लाह के हुक्म के बाद इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे इस्माईल अलैहिस्लाम ने एक इमारत बनाई थी. इसी को काबा कहा जाता है. इसके बाद यहां लोगों ने पूजा करनी शुरू कर दी. 


इस तरह हुई हज की शुरूआत


इस्लाम धर्म के मुताबिक अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद को हुक्म दिया कि वह काबा जैसे पहले था वैसे ही बनाएं और वहां पर सिर्फ अल्लाह की इबादत करें. साल 628 ई. में प्रोफेट मोहम्मद ने अपने 1400 उम्मतियों के साथ एक यात्रा शुरू की. इस याज्ञा के जरिए प्रोफेट मोहम्मद ने पैगंबर इब्राहीम की परंपरा को स्थापित किया. इसी के बाद से हज का सिलसिला शुरू हुआ. माना जाता है कि हज करने से पिछले सारे गुनाह माफ हो जाते हैं.


इसी के बाद से हज शुरू हुआ. मुसलमान हर साल इसे दोहराते हैं. हज पांच दिन में पूरा होता है. यह ईद उल-उजहा यानी बकरीद के साथ पूरा होता है. 


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