नई दिल्ली: पिछले हफ्ते ज़ी एंटरटेनमेंट (ZEEL) के साथ सोनी पिक्चर्स (Sony Pictures) के विलय का एलान हुआ, जिसका बाजार ने जोरदार तरीके से इस्तकबाल किया. लेकिन, इनवेस्को अब भी ज़ी एंटरटेनमेंट के बोर्ड को बदलने के प्रपोजल पर कायम है. जबकि इनवेस्को (Invesco) के पास न ठोस बोर्ड का प्रपोजल है और न ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े कामकाज का तजुर्बा.


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सवाल ये है कि फिर इनवेस्को की मंशा क्या है? एक तरफ ज़ी एंटरटेनमेंट के मौजूदा बोर्ड में अलग अलग सेक्टर के तजर्बेकार और जाने माने नाम हैं तो वहीं दूसरी तरफ इनवेस्को के बोर्ड (Invesco board) में ऐसा कोई नाम नहीं है जिसके पास मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर का कोई बड़ा तजुर्बा है. 


इन्वेस्को के प्रस्तावित बोर्ड पर नजर डालते हैं
1. सुरेंद्र सिंह सिरोही (Surendra Singh Sirohi)
सुरेंद्र सिंह सिरोही को मीडिया डोमेन का कोई तजुर्बा नहीं है. उनके पास कॉरपोरेट एक्सपर्टीज ज्यादा नहीं है. लिस्टेड कंपनी में काम करने का उनके पास बहुत कम तजुर्बा है. इसके पहले वह भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के बोर्ड में 3 साल के लिए थे. अभी वह HFCL के बोर्ड में हैं. पहले वह BSNL पंजाब सर्किल का पार्ट रह चुके हैं और इंडियन टेलिकॉम सर्विसेज एसोसिएशन (ITSA) के भी प्रेसिडेंट रहे हैं. महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड के जनरल मैनेजर रहे हैं. टेलीकॉम इलाके में तजुर्बे पर क्या ये ZEEL के लिए काफी?


2. नैना कृष्णामूर्ति (Naina Krishnamurthi)
नैना कृष्णामूर्ति के पास लिस्टेड कंपनी में काम करने का बहुत कम तजुर्बा है. उन्होंने प्राइवेटली लिस्टेड कंपनियों में ज्यादा काम किया है. उन्हें पहले मीडिया डोमेन या मीडिया और मनोरंजन इलाके में किसी कंपनी से जुड़े होने का कोई पूर्व अनुभव नहीं है. यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि वह कुछ छोटी फर्मों के अलावा, किसी भी कंपनी के बोर्ड में डायरेक्टर के तौर पर एक से ज्यादा कार्यकाल के लिए नहीं चुनी गईं.


3. रोहन धमीजा (Rohan Dhamija)
किसी भी लिस्टेड कंपनी के बोर्ड मेंबर के रूप में पहले से कोई तजुर्बा नहीं है. उनके अनुभव का एक बड़ा हिस्सा एनालिसिस मेसन में रहा है, जहां वह 15 सालों से ज्यादा वक्त से मैनेजिंग पार्टनर हैं. एनालिसिस मेसन से पहले उनके पास इंडस्ट्री का कोई खास तजुर्बा नहीं है.


4. अरुणा शर्मा (Aruna Sharma)
अरुणा शर्मा ने हाल ही में जिंदल स्टील एंड पावर के बोर्ड में अपनी मुद्दत पूरी की है. कंपनी ने उन्हें हालिया बोर्ड मीटिंग में रीअप्वॉइंटमेंट के लिए नहीं चुना है. उन्हें कंपनी में एक कार्यकाल के लिए सिर्फ 2 साल के लिए इंडीपेंडेंट डायरेक्टर के तौर पर चुना गया था. लेकिन उन्हें JSPL के बोर्ड में दोबारा क्यों नहीं नियुक्त किया गया? कंपनी ने इसके कारणों के बारे में डिटेल क्लेरिफिकेशन भी नहीं दिया है. हाल ही उन्हें में वेलस्पन एंटरप्राइजेज के बोर्ड में बतौर इंडिपेंडेंट डायरेक्टर नियुक्त किया गया और उनका पहला कार्यकाल अभी भी जारी है. 


5. श्रीनिवास राव अड्डेपल्ली (Srinivasa rao addepalli)
टाटा ग्रुप छोड़कर खास अनुभव नहीं है. और कहीं बोर्ड मेंबर भी नहीं रहे. वैरिड सेक्टर्स में कोई विशेषज्ञता नहीं है. उनके एडुटेक स्टार्टअप Global Gyan को भी टाटा ग्रुप का समर्थन है, जिसमें वह संस्थापक और सीईओ हैं. रतन टाटा इस कंपनी में एक एंजेल निवेशक के तौर पर जुड़े हैं. लेकिन, कंपनी में उनकी कितनी हिस्सेदारी है या किए गए निवेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है. Global Gyan के ज्यादातर प्रोजेक्ट टाटा ग्रुप के लिए हैं और समूह के कई कर्मचारी इसमें सलाहकार/फैकल्टी मेंबर हैं.


6. गौरव मेहता (Gaurav Mehta)
Raine Advisors India Pvt. Ltd. के गौरव मेहता का किसी भी सेक्टर में किसी लिस्टेड कंपनी के बोर्ड मेंबर के रूप में कोई पूर्व अनुभव नहीं है. वह उस फर्म के बोर्ड में है जो यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (US SEC) के साथ रजिस्टर्ड ब्रोकर-डीलर है.


अब यहां ये सवाल पैदा होता है कि इन्वेस्को के प्रस्तावित बोर्ड सदस्यों के पास एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री, मीडिया, डिजिटल और टेक्नोलॉजी का तजुर्बा कहां है?


  • मर्जर और टेकओवर करने, देखने और अप्रूव करने का तर्जुबा कहां है?

  • 18% से कम हिस्सेदारी पर 6 बोर्ड सीट हासिल करने का हक कहां से मिला?

  • इन्वेस्को क्यों भूल रही कि वो फाइनेंशियल इन्वेस्टर है न की स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टर?

  • इन्वेस्को के पास कोई ठोस प्लान नहीं तो बनती हुई डील को बिगाड़ने की कोशिश क्यों?

  • क्या इन्वेस्को जैसे गैर-मुल्की इन्वेस्टर बने बनाए भारतीय ब्रांड को ग़ैर-मुस्तहकम करना चाहते हैं?


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