समलैंगिक विवाह को मिलेगी कानूनी मंजूरी? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
Special Marriage Act: समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाने की एक अर्ज़ी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाले समलैंगिक जोड़े की अर्ज़ी पर सुप्रीम कोर्ट कानूनी परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है. साथ ही अदालत ने केंद्र और अटर्नी जरनल को नोटिस जारी किया है 4 हफ्तों में इस मामले पर जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट हैदराबाद के रहने वाले एक गे कपल की अर्जी पर सुनवाई कर रहा था. जिसमें उन्होंने समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत लाने की मांग की है.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने अर्ज़ियों पर नोटिस जारी करने से पहले सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी की दलीलें भी सुनीं.
हैदराबाद के एक गे जोड़े (सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग) की तरफ से दाखिल की गई अर्ज़ियों स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत दो समलैंगिक जोड़ों की शादी को मंजूरी देने की मांग की गई है. वहीं दूसरी याचिका समलैंगिक जोड़े पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज ने दायर की थी. वे एक निर्देश चाहते हैं कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार LGBTQ (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर और क्वीर) से संबंधित व्यक्तियों तक बढ़ाया जाए.
याचिका में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी न देना संविधान के धारा 14 और 21 के तहत बराबरी के हक और जिंदगी के हक की खिलाफवर्ज़ी है. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 2018 में सर्वसम्मति से 158 साल पुराने कानून के हिस्से को आईपीसी की धारा 377 के तहत डिक्रिमिनलाइज़ कर दिया था, जो सहमति से अप्राकृतिक सेक्स को अपराध मानता है.
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