गोबर से शुरू किया कारोबार, बदल गई 73 महिलाओं की किस्मत
Cow Dung Business: छ्त्तीसगढ़ में एक महिला ने गोबर का कारोबार शुरू किया है. महिला ने 72 लोगों का ग्रुप बनाया और कई हजार रुपये कमाए.
रायपुर: होसले बुलंद हो तो कुछ भी हो सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में मौजूद मनेंद्रगढ़ की रहने वाली प्रीति टोप्पो ने. प्रीति टोप्पो ने अपने आस-पास की 73 महिलाओं को जोड़कर एक स्व सहायता समूह बनाया. इसके बाद गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाया. इसके बाद इसे बेचना शुरू कर दिया. इस समूह ने 93 लाख का कारोबार किया. समूह की महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर भी हो रही हैं
गोधन न्याय योजना का उठाया फायदा
प्रीति टोप्पो गरीब परिवार से आती हैं. दो साल पहले भूपेश बघेल सरकार ने जब गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) की शुरूआत की तो उन्हें लगा कि योजना तो उन्हीं के लिए है. प्रीति ने अपने ही जैसी 72 महिलाओं के साथ एक महिला स्व सहायता समूह बनाया. इसके बाद गोबर इकट्ठा कर वर्मी कंपोस्ट खाद बनाना शुरू कर दिया. दो साल बाद समूह 93 लाख रुपए का वर्मी कंपोस्ट खाद बेच चुका है.
अपने साथ दूसरी महिलाओं की बदली किस्मत
कंपोस्ट बेच कर ये महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हो चुकी हैं. अब वह पैसे के मामले में किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होतीं. प्रीति ने न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने साथ जुड़ी महिलाओं के लिए भी आर्थिक बदलाव किया है.
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चर्चा में है प्रीति का ग्रुप
प्रिति ने जो ग्रुप बनाया है उसका नाम 'स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ' है. यह ग्रुप इन दिनों चर्चाओं में है. इसकी वजह भी है कि समूह ने वर्मी कंपोस्ट खाद बेचकर 93 लाख रुपए कमाए. यूं तो गोबर धार्मिक कार्यों में गोबर बहुत काम आता है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने गोबर को दूसरी तरह से इस्तेमाल करने का रास्ता खोल दिया है.
छत्तीसगढ़ में खरीदा बेचा जाता है गोबर
गोधन न्याय योजना के तहत शासन ने गोबर को एक कमोडिटी में तब्दील कर दिया है. छत्तीसगढ़ में गोबर बेचा और खरीदा जा रहा है. यहां सरकार गोबर की खरीदी कर रही है. गोबर से गौठानों में वर्मी कंपोस्ट खाद बनाई जा रही है. इसी खाद के विक्रय से समूहों को जो फायदा हो रहा है.
प्रीति टोप्पो के मुताबिक "गोधन न्याय योजना शुरू हुई तो शहर के गौठान में समूह के रूप में जुड़कर वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का कार्य शुरू किया, तब घर-परिवार के लोग खुश नहीं थे, लेकिन जैसे-जैसे उत्पादन एवं विक्रय से लाभ मिला, लोगों का हमारे प्रति नजरिया बदलने लगा. इस योजना से हमें स्वरोजगार का जरिया मिला है समाज में हमारा मान-सम्मान बढ़ा है."
(आईएएनएस)
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