नई दिल्लीः कांग्रेस द्वारा सीमाओं पर चीनी घुसपैठ पर बहस की मांग को राज्यसभा में खारिज किए जाने के बाद विपक्ष के बहिर्गमन पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि सेना के लिए ’पिटाई’ शब्द का इस्तेमाल उनका अपमान करने जैसा है. देश के जवानों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना करने से राहुल गांधी को बचना चाहिए. जयशंकर ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में कहा, “हमारे सैनिक यांग्त्से में 13,000 फीट की ऊंचाई पर खड़े हैं और हमारी सीमा की रक्षा कर रहे हैं. उनका सम्मान और सराहना की जानी चाहिए.“


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राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को नियम 267 के तहत सभी नौ नोटिसों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह मुद्दे बहस कराए जाने लायक नहीं है.
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा सेना के लिए ’पिटाई’ शब्द का इस्तेमाल न करने की सलाह पर सोशल मीडिया यूजर्स पूछ रहे हैं कि मंत्री को इस शब्द का विकल्प भी बताना चाहिए कि आखिर सेना की पिटाई के लिए कौन-सा शब्द इस्तेमाल किया जाए?  


राहुल ने कहा था सेना की पिटाई की जा रही है और सरकार नींद में है 
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने शुक्रवार को जयपुर में अपनी ’भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि हमें समझना चाहिए कि क्या हो रहा है? विदेश मंत्री बयान देते रहते हैं, लेकिन उन्हें अपनी समझ को और ज्यादा सही करना चाहिए.’’ सीमा रेखा पर चीन से स्पष्ट खतरे की निशानदेही करते हुए, गांधी ने यह भी दावा किया था कि पड़ोसी देश चीन भारत से जंग की तैयारी कर रहा है और केंद्र सरकार इस सच को छिपाने की कोशिश कर रही है. 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुए हालिया झड़प के संदर्भ में राहुल गांधी बोल रहे थे. गांधी ने कहा था कि चीन लद्दाख और अरुणाचल की तरफ युद्ध की तैयारी कर रहा है, जबकि भारत सरकार नींद में सो रही है. उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जवानों को चीनी सेना के जवानों द्वारा “पिटाई“ की जा रही है. राहुल गांधी ने ये भी दावा किया था कि भारत के 2,000 वर्ग किमी पर चीन कब्जा कर चुका है और 20 भारतीय सैनिकों को मार डाला है.

ये सलाह किस की तरफ से आ रही है
इसी बीच सोमवार को विदेश मंत्री ने कहा, “अगर हम चीन के प्रति उदासीन थे तो भारतीय सेना को सीमा पर किसने भेजा? अगर हम चीन के प्रति उदासीन थे तो हम आज चीन पर डी-एस्केलेशन और डिसइंगेजमेंट के लिए दबाव क्यों बना रहे हैं? हम क्यों हैं?“ सार्वजनिक रूप से हम क्यों कह रहे हैं कि हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं?“ वहीं, जयशंकर ने राहुल गांधी की उस टिप्पणी पर भी चुकटी लेते हुए कहा कि मैंने सुना है कि मेरी अपनी समझ को और ठीक करने की जरूरत है. जब मैं देखता हूं कि ये सलाह कौन दे रहा है तो मैं सिर्फ झुक सकता हूं और सम्मान कर सकता हूं.


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