World Braille Day: इंसान धरती पर सबसे बेहतर जीवों में से एक है. इंसानों में आंखें सबसे नाजुक और कीमती चीजों में से एक मानी जाती है. आंख ही है जिससे इंसान देख पाता है और दुनिया को जान पाता है. लेकिन जिसके पास आंख न हों उसके लिए दुनिया अंधेरी हो जाती है. इस बात को इंसानियत से हमदर्दी रखने वाले लोगों ने जाना और इस पर काम करने के बारे में सोचा. इसके बाद इन हमदर्द लोगों ने एक ऐसी चीज ईजाद की जिससे नेत्रहीन इंसान दुनिया को अपनी तरह से समझ सकता है. यह चीज थी ब्रेल लिप (जिसे नेत्रहीन लोग लिख पढ़ सकते हैं.) ब्रेल लिपि की ईजाद उन्नीसवीं सदी की शुरूआत में फ़्रांस में हुई. इसके जरिए आज नेत्रहीन लोग दुनिया को जान पा रहे हैं. वह काम कर रहे हैं. नौकरी कर रहे हैं. तरक्की कर रहे हैं आगे बढ़ रहे हैं.


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ब्रेल लिपि की ईजाद
ब्रेल लिपि की ईजाद एक मजदूर घर में हुई थी. इसको ईजाद करने वाले लुई ब्रेल 4 जनवरी 1809 में पैदा हुए. वह 5 साल के थे तभी एक हादसे में उन्होंने अपनी दोनों आंखें गंवा दी थीं. इसके बाद लुई को एक ऐसे स्कूल में दाखिला दिलाया गया जहां पर नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाया जाता था. वेलन्टीन होउ की बनाई गई एक लिपी से पढ़ाया जाता था. लेकिन इसमें कई कमियां थीं. इसी दौरान लुई को पता चला कि शाही सेना के एक सेवानिवृत कैप्टन चार्लस बार्बर ने एक लिपि बनाई है, जिसे अंधेरे में टटोल कर पढ़ा जा सकता है. सुई ने इस लिपि में कई बदलाव किए. कड़ी मेहनत के बाद लुई ने 1829 में ब्रेल लिपि की ईजाद की. इस लिपि में नेत्रहीनों के लिए 1829 में किताब छपी. 


मरने के बाद मिली मान्यता
लुई की लिपि को लोगों ने तवज्जो नहीं दी. इसके बाद लुई ने फ्रांस की सरकार से गुजारिश की कि इस लिपि को नेत्रहीनों के लिए मान्यता दी जाए. लेकिन सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया. इसके बाद लुई ने कई शिक्षाविदों से राब्ता किया, लेकिन किसी ने उनकी लिपि को नहीं माना. इसके बाद लुई 1852 में इस दुनिया से चले गए. इस वक्त लुई 43 साल के थे. लुई के मरने के बाद साल 1854 में इस लिपि को उनके ही स्कूल 'रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लाइंड्स' में मान्यता मिली. इसके फ्रांस की सरकार ने लुई की लिपि को मान्यता दी. अब ब्रेल लिपि पूरी दुनिया में मशहूर है. लुई की काबिलियत को फ्रांस में उनकी मौत के 100 साल बाद माना गया. लुई की लाश के अवशेश को उनकी कब्र से निकाला गया और उसे दोबारा राष्ट्रीय सम्मान के साथ दफनाया गया.


इसलिए मनाया जाता है विश्व ब्रेल दिवस
ब्रेल लिपि में छोटे-छोटे डॉट्स होते हैं. इसे नेत्रहीन लोग छूकर महसूस करके पढ़ते हैं. ब्रेल लिपि में 8 डॉट्स के सेल हैं. अब इसमें 64 की जगह 256 अक्षर हैं. अब ब्रेल लिपी का दूसरा कोई विकल्प नहीं है. ब्रेल लिपि में अब कंप्यूटर भी चलाया जा सकता है. स्क्रीन पर उभरे बिंदुओं के जरिए इसे चलाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 नवंबर 2018 को नेत्रहीन लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए और ब्रेल लिपि के लिए समाज में जागरुकता फैलाने के लिए ब्रेल के जन्मदिन 4 जनवरी को 'विश्व ब्रेल दिवस' (World Braille Day) के तौर पर मनाने का फैसला किया.