UP News: मोहर्रम शिया मुसलमानों का गम का महीना होता है. इस महीने में मुसलमान गम मनाते हैं. काले कपड़े पहनते हैं. साथ ही कई तरह के मातम करते हैं. परंपरा के मुताबिक कहीं पर सीना पीटने का मातम, कहीं पर आग का मातम, तो कहीं पर छुरी और बरछी से मातम किया जाता है. लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुहर्रम के जुलूस में अस्त्र-शस्त्रों के प्रदर्शन और उससे मातम करने पर रोक लगा दी है.


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300 सालों से कुछ नहीं हुआ
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि पाबंदी सब पर बराबर होनी चाहिए. पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा कि सभी धर्म के लोगों के धार्मिक जुलूसों पर अस्त्र-शस्त्र की पाबंदी होनी चाहिए. मैं कहता हूं इसकी जरूरत क्या है? पिछले 200-300 सालों से ये सब चला आ रहा है, लोग जुलूस के दौरान अस्त्र शस्त्र की अपनी कला दिखाते हैं और लाठी-डंडे समेत कई वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं, मेरे संज्ञान में नही है, एक भी आदमी की इससे मौत हुई हो.


सब पर लगे रोक
उन्होंने आगे कहा कि जुलूस में इसे रोकने की जरूरत क्या है, अगर रोका है तो ईमानदारी से सब पर रोक लगानी चाहिए. ऐसा नहीं होना चाहिए कि लोग हैवी डीजे लेकर चलते हैं, लोगों के दिल धड़कते हैं, खिड़कियां झनझनाती हैं, घर के अंदर वाइब्रेशन होता है, बीमार आदमी सड़क से दूर भागता है. एसटी हसन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और मुख्यमंत्री का आदेश है कि डीजे को लिमिट में बजाए जाए, लेकिन मस्जिद में अजान होती है, उसकी आवाज 60 डेसिमिल से ज्यादा होती है तो पुलिस आकर लाउडस्पीकर निकाल लेती है. अमन की चाबी इंसाफ के पास है, सबके साथ बराबर का इंसाफ होगा तो किसी को भी दुश्वारी नहीं होगी.


अस्त्र-शस्त्र के प्रदर्शन पर पाबंदी
ख्याल रहे कि योगी सरकार ने मुहर्रम के जुलूस में अस्त्र-शस्त्रों पर पांबदी लगाई है. सीएम योगी ने एक बयान में कहा कि धार्मिक यात्राओं व जुलूसों में अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए, जिससे दूसरे धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हों. इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने खुले में मांस बिक्री पर भी रोक लगाने का फैसला किया है.