बुलाती है मगर जाने का नहीं, पढ़ें राहत इंदौरी की एक ऐसी गज़ल जो हर बच्चे की ज़बान पर है
राहत इंदौरी कोशिश किया करते कि उनकी शायरी को हर कोई समझ सके, इसके लिए वो बेहद आसान लफ्ज़ों का इस्तेमाल करते थे. यही वजह है कि उनकी गज़लें नौजवानों ही नहीं बूढ़े, बच्चों की ज़बानों पर भी रवां रहती हैं.
नई दिल्ली: मशहूर शायर राहत इंदौरी का आज दिल का दौरा पड़ने से इंतेकाल हो गया है. मंगल की सुबह उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी थी कि उनकी रिपोर्ट कोरना पॉज़िटिव आई है. राहत इंदौरी अपने बेबाक अदांज़ और बेहतरीन शायरी के लिए पूरी दुनिया जाने जाते रहे हैं. वो हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी अदबी दुनिया के लिए एक मिसाल रहे हैं. राहत इंदौरी की मौत अदबी दुनिया के लिए कभी न भरने वाला ज़ख्म साबित होगा.
राहत इंदौरी कोशिश किया करते कि उनकी शायरी को हर कोई समझ सके, इसके लिए वो बेहद आसान लफ्ज़ों का इस्तेमाल करते थे. यही वजह है कि उनकी गज़लें नौजवानों ही नहीं बूढ़े, बच्चों की ज़बानों पर भी रवां रहती हैं. हाल ही उनकी गज़ल का एक शेर इतना ज़्यादा मशहूर हो गया कि शायह कोई शख्स होगा जो उनके इस शेर से वाकिफ न हो, शेर कुछ यूं है कि, "बुलाती है मगर जाने का नहीं". तो आइए पढ़ते हैं उनकी ये मुकम्मल गज़ल.
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं
ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं
सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर ज़ालिम से डर जाने का नहीं
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