Azadi ka Amrit Mahotsav: वह मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी जो बने आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री!

Aug 15, 2022, 08:26 AM IST

Azadi ka Amrit Mahotsav 2022: आजादी के 75 साल की 75 कहानियों में आज बात करेंगे एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी की जिनका जन्म तो अरब में हुआ था लेकिन परवरिश अपने देश भारत में हुई. जीं हां मैं बात कर रहा हूं. आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की. मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 1888 में मक्का में हुआ था. लेकिन जब वह दो साल के थे तभी पूरा परिवार कलकत्ता लौट आया. अबुल कलाम आजाद जब बड़े हुए तो उर्दू में एक साप्ताहिक पत्रिका अल-हिलाल शुरू किया जो मॉर्ले-मिंटो सुधारों के साथ साथ हिंदू-मुस्लिम एकता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लेकिन इससे परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने साल 1914 में इसे बंद करवा दिया. जिसके बाद अबुल कलाम आजाद ने एक और पत्रिका निकाली जिसका नाम था "अल-बालाग". लेकिन कुछ दिन में इस पर भी प्रतिबंध लग गया. और मौलाना अबुल कलाम आजाद को कलकत्ता से बिहार की जेल में भेज दिया गया. जेल से रिहा होने के बाद अबुल कलाम गांधीजी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन के साथ हो गए. और फिर 35 साल की उम्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए. एक तरफ अबुल कलाम देश की आजादी में गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे थे. तो वहीं दुसरी तरफ अंग्रेज. लोगों में हिंदू मुस्लिम भेदभाव को बढ़ाने का काम कर रहे थे. लेकिन हर बार अबुल कलाम आजाद औऱ गांधी जी उनके इस कोशिश को नाकाम कर देते. देश की आजादी के साथ साथ अबुल कलाम आजाद हमेशा शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करते थे. उनका मानना था कि बिना शिक्षा के कोई भी जंग नहीं जीती जा सकती. साल 1920 में स्थापित हुई जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे मौलाना अबुल कलाम आजाद. इसके अलावा भी मौलाना अबुल कलाम आजाद ने देश में और भी कॉलेज और विश्वविद्यालय खोले जो आगे चलकर देश में शिक्षा का प्रसार प्रचार करने में काफी सहयोग दिया. इन तमाम कामों के लिए 11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह फैसला लिया कि हर साल मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में उनके जन्मदिन पर "राष्ट्रीय शिक्षा दिवस" मनाया जाएगा और तब से हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. आजादी के बाद साल 1947 से 1958 तक मौलाना अबुल कलाम देश के शिक्षा मंत्री के रुप में अपना काम बेहद इमानदारी से किया और अपने आखिरी दम तक देश में शिक्षा को लेकर काम करते रहे.

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