Video: ख़ाना ए काबा के गिलाफ का रंग सियाह क्यों?

Sat, 18 Jun 2022-2:49 am,

Video: Why the color of the cover of Khana-e-Kaaba is dark? सियाह रंग और क़ुरानी आयात से सजे हुए ख़ाना काबा के ग़िलाफ़ किस्वा को हर बरस यौमे अरफ़ा यानि 9 ज़िल हिज्जा को तब्दील किया जाता है. क्योंकि 9 ज़िल हिज्जा को हुज्जाजे इकराम हज के अहम तरीन रुक्न वक़ूफ़े अरफ़ा के लिए अरफ़ात के मैदान में गुज़ारते हैं और इस दिन काबे में हुजूम नहीं होता है. तारीख़ में रक़म है कि क़ब्ल अज़ इस्लाम दौर में यमन के बादशाह तूबाल हमीरी ने काबे को पहली बार ग़िलाफ़ से ढका. और इस मक़सद के लिए यमन का बेहतरीन कपड़ा इस्तेमाल किया. इस के बाद आने वालों ने कभी चमड़े का ग़िलाफ़ बनवाया और कभी मिस्र का क़ब्ती कपड़ा मंगवाया. उस ज़माने में किस्वा की एक से ज़्यादा तह होती थीं. रसूले पाक हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहू अलेहीवासल्लम ने 9 हिजरी में फतह मक्का के बाद हज के मौक़े पर काबे को सुर्ख़ और सफ़ेद यमनी कपड़े से ढक दिया था. खुलफ़ाए राशदीन के ज़माने इस पर सफ़ेद ग़िलाफ़ डाला जाता रहा. अब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबेर ने इसके लिए सुर्ख़ ग़िलाफ़ का इंतेज़ाम किया. अब्बासी अहद में एक साल सफ़ाद और एक साल सुर्ख़ ग़िलाफ़ बनाया जाता था. सलजूक़े सलातीन ने इसे ज़र्द ग़िलाफ़ दिया. अब्बासी हुकमरानुल नासिर ने पहले सब्ज़ और बाद में सियाह ग़िलाफड बनवाया और उसके बाद से सियाह ग़िलाफ़ की रिवायत बरक़रार है.

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