सहरसा। संवेदनाएं सिर्फ इंसानों में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी होती है. किसी के बिछड़ जाने या दूर चले जाने पर वह भी दुखी होते हैं और अपने इन भावों को प्रकट भी करते हैं. बिहार के सहरसा जिले में एक बकरा अपने मालिक की मौत से बेहद गमगीन है और उदास है. उसने खाना पीना तक छोड़ दिया है और मालिक की कब्र पर जाकर उसकी मिट्टी तक हटाने लगता है. मालिक और बकरे का यह प्रेम इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बकरे की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. 


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यह घटना सहरसा जिले के सिररही गांव की है. इस गांव में सोहेल अहमद नाम के एक शिक्षक रहते थे. वह हाल ही में गांव के एक सरकारी स्कूल में हेडमास्टर के पद से सेवानिवृत हुए थे. गांव के लोग बताते हैं कि मास्टर साहेब काफी नेक और सच्चे इंसान थे. गांव के आधे से ज्यादा नौजवान और बच्चे उनके शिष्य रह चुके हैं.आसपास के गांव के लोग उनकी काफी इज्जत करते थे. उनका जीवन लोगों के लिए एक आदर्श था. वह इंसानों के साथ ही जानवरों से भी प्रेम भाव रखते थे. 



गांव के लोग बताते हैं कि मास्टर साहब ने एक बकरा पाल रखा था, जिससे वह इंसानों की तरह स्नेह रखते थे. वह बकरे का बांधकर नहीं रखते थे. वह ऐसे ही घर में और दरवाजे पर घूमता रहता था. मास्टर साहब अगर सुबह की नमाज के वक्त समय पर नहीं जागते थे तो बकरा उनके गेट पर अपनी सींग तबतक मारता रहता था, जबतक मास्टर साबह अंदर से उसे आवाज नहीं दे देते थे. वह जैसे ही कहते थे, ’’आ रहे हैं, गेट खोल रहे हैं, बकरा धक्का मारना बंद कर देता था.’’ गोया कि बकरा भी समझता था कि उसके मालिक को उठने और नमाज पढ़ने का वक्त हो गया है.   


बीते 24 दिसंबर को मास्टर सौहेल अहमद का अचानक इंतेकाल हो गया. घर के लोगों के साथ रात भी बकरा उनके शव के पास बैठा रहा. 25 दिसंबर को मास्टर साहब के शव को सुपुर्दे खाक कर दिया गया. लोग बताते हैं कि जनाजे के साथ-साथ बकरा भी कब्रिस्तान तक पहुंच गया और अपने मालिक के शव के आसपास मंडराता रहा. अब रोज बकरा कब्रिस्तान में अपने मालिक की कब्र के पास जाकर उन्हें तलाशता है. घंटों कब्र के आसपास खड़ा रहता है, कभी बैठ जाता है. कभी कब्र पर चढ़ जाता है. उसकी मिट्टी हटाने की कोशिश करता है. गांव से एक अच्छे इंसान के चले जाने और उनके बकरे की ये हालत देखकर लोग रो देते हैं.


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