"इश्क़ क्या शय है हुस्न है क्या चीज़, कुछ इधर की है कुछ उधर की आग"

Siraj Mahi
Mar 21, 2024


हम और चाह ग़ैर की अल्लाह से डरो... मिलते हैं तुम से भी तो तुम्हारी ख़ुशी से हम


कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूँ के आसार... और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं


किस का है जिगर जिस पे ये बेदाद करोगे... लो दिल तुम्हें हम देते हैं क्या याद करोगे


चौंक पड़ता हूँ ख़ुशी से जो वो आ जाते हैं... ख़्वाब में ख़्वाब की ताबीर बिगड़ जाती है


गुदगुदाया जो उन्हें नाम किसी का ले कर... मुस्कुराने लगे वो मुँह पे दुपट्टा ले कर


ब'अद मरने के भी मिट्टी मिरी बर्बाद रही... मिरी तक़दीर के नुक़सान कहाँ जाते हैं


तुम ने पहलू में मिरे बैठ के आफ़त ढाई... और उठे भी तो इक हश्र उठा कर उट्ठे


आख़िर मिले हैं हाथ किसी काम के लिए... फाड़े अगर न जेब तो फिर क्या करे कोई


इश्क़ है इश्क़ तो इक रोज़ तमाशा होगा... आप जिस मुँह को छुपाते हैं दिखाना होगा

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