पाकिस्तान में एक कर्मचारी ने मांगी हवाईअड्डे तक गधा-गाड़ी लाने की इजाजत; पिक एंड ड्राप बंद !
पाकिस्तान में शुक्रवार को ईंधन की कीमतों में इजाफे के बाद पेट्रोल अब 209.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल 204.15 रुपये प्रति लीटर हो गया है.
इस्लामाबादः पकिस्तान में इंर्धनों की कीमतें आसमान छू रही है. शुक्रवार को डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ने के साथ पाकिस्तान में अब पेट्रोल और डीजल की नई कीमतें पाकिस्तानी रुपये के मुताबिक क्रमशः 209.86 और 204.15 रुपये प्रति लीटर हो गया है. ईंधन में इस इजाफे के बाद अब मध्यम वर्गीय देश के खाते-पीते अवाम की भी कमर टूट जाएगी. कीमतों में इजाफे के बाद पाकिस्तान की सरकार को अवाम के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के एक कर्मचारी ने काम पर आने-जाने के लिए गधा-गाड़ी के इस्तेमाल की शुक्रवार को अनुमति मांगी है.
संगठन ने परिवहन सुविधा बंद कर दी है
समाचार पत्र ‘डॉन’ की खबर की मुताबिक, नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएए) के महानिदेशक को लिखे एक पत्र में, राजा आसिफ इकबाल ने कहा है कि मुद्रास्फीति ने न केवल ‘‘गरीबों, बल्कि मध्यम वर्ग की भी कमर तोड़ दी है.’’ इकबाल 25 वर्षों से सीएए में नौकरी करते हैं और अब इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में नौकरी करते हैं. खबर के मुताबिक, उन्होंने सीएए पार्किंग में एक गधा-गाड़ी लगाने की इजाजत मांगी है. कर्मचारी ने कहा है, ‘‘इस महंगाई में संगठन ने परिवहन सुविधा बंद कर दी है. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण निजी परिवहन का इस्तेमाल करना काफी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा, ‘‘कृपया मुझे अपनी गधे-गाड़ी को हवाईअड्डे पर लाने की अनुमति दें.’’
"पत्र मीडिया स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं’’
हालांकि, सीएए के प्रवक्ता सैफुल्ला खान ने कहा कि हर कर्मचारी को ईंधन भत्ता दिया जाता है. उन्होंने कहा कि उन्हें (कर्मचारियों को) पिक-एंड-ड्रॉप सेवा प्रदान की जाती है. हवाई अड्डे पर कर्मचारियों के लिए एक मेट्रो बस सेवा भी उपलब्ध है. खान ने कहा कि संबंधित पत्र ‘‘मीडिया स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं’’ है. सरकार ने आखिरी बढ़ोतरी के एक हफ्ते बाद शुक्रवार को ईंधन की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी की. पेट्रोल अब 209.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल 204.15 रुपये प्रति लीटर है. वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने पत्रकारों से कहा कि वह इमरान खान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के ‘‘गलत फैसलों’’ के कारण देश को दिवालिया नहीं होने दे सकते, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ रही थीं और सरकार को पेट्रोलियम सब्सिडी पर प्रतिमाह लगभग 120-130 अरब रुपये का नुकसान हो रहा था.
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