नई दिल्ली: कला मुक्तिदायक हो सकती है. इस बात को साबित एक शख्स ने किया है. जो मर्डर के इल्जाम में जेल में था और अब इसे प्रशासन ने रिहा करने का फैसला किया है. इस शख्स का नाम है- Valentino Dixon जो 27 साल तक, डिक्सन एक कुख्यात अमेरिकी जेल में एक ऐसे अपराध के लिए पड़ा रहा जो उसने किया ही नहीं था. फिर सलाखों के पीछे उसने एक पेंटिंग बनाए जिसके जरिए वह बाहर आ सका.


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डिक्सन 1991 में 21 वर्ष के थे, जब उन्हें न्यूयॉर्क के बफ़ेलो में अपने गृहनगर में एक हैंगआउट में घातक शूटिंग के लिए गिरफ्तार किया गया था और गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था. कई तरह के सबूत पेश होने के बाद भी डिक्सन बाहर नहीं हो पाए. कोर्ट के सामने गवाह भी पेश किए गए लेकिन उन्हें 39 साल की सजा सुनाई गई. 


जेल में बनाई बेहतरीन आर्ट


डिक्सन ने जेल में रहकर ऐसी पेंटिंग बनाई कि वह उनके बाहर आने की वजह बन हई. डेक्सन ने खलीज टाइम्स को बताया- मुझे जेल में आठ साल हो गए थे. तब मेरे अंकल मुझे कुछ पेंटिग पेन और कागज देकर गए और मुझसे आग्रह कि मैं एक चित्र बनाऊं. डिक्सन कहते हैं कि उनके अंकल ने उसने कहा- 'यदि आप अपनी प्रतिभा को पुनः प्राप्त कर सकते हैं, तो आप अपने जीवन को पुनः प्राप्त कर सकते हैं'.


मैं जब बच्चा था तो मुझे ड्ऱॉ करना काफी पसंद था. अंकल की इस बात के बाद मैंने फैसला किया भली ही मैं जेल में हूं, लेकिन मैं अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकता. जिसके बाद अगले 20 सालों में डिक्सन ने सैकड़ों पेंटिंग्स बनाईं. वह पेंटिंग बनाने को तकरीबन 10 घंटा देते थे. 


डिक्सन जब फेमस हुए तो उन्हें एक गोल्फ कोर्स बनाने का ऑर्डर मिला. उन्होंने इसे पूरा किया, जिसके बाद जेल में उनके साथी ने कहा कि तुम और गोल्फ कोर्स क्यों नहीं बनाते हो. डेक्सन कहते हैं कि पहले मुझे ये आइडिया पसंद नहीं आया लेकिन फिर मैंने उसके जरिए दी गए मैगजीन को पलटा को मुझे अजीब सी शांती का एहसास हुआ. आपको बता दें डेक्सन ने तकरीबन 130 गोल्फ कोर्स के डिजान बनाए.


ऐसे मिली राहत


डिक्सन के मुकदमे की कमजोर प्रकृति पर सवाल उठाने वाली कहानी वायरल हो गई. जल्द ही जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रिज़न एंड जस्टिस इनिशिएटिव ने केस वापस ले लिया. उनके प्रयासों के बाद, डिक्सन को 19 सितंबर, 2018 को हत्या के आरोपों से मुक्त कर दिया गया.


डिक्सन ने अपनाया इस्लाम


डेक्सन ने 199 में इस्लाम कुबूल कर लिया. जिसके बाद उन्होंने अपना नाम तारिक रमजान अब्दुल्ला रखा. वह कहते हैं कि उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है. डिक्सन कहते हैं कि “अगर मैं नाराज़ होता तो मैं अपने आप से शांत नहीं होता. मैं जीवन का आनंद नहीं ले पाऊंगा. मेरे विश्वास ने मुझे यही सिखाया है,"