हेरातः अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में बेरोजगारी, आसमान छूती महंगाई और भूखमरी की समस्या लगातार बढ़ रही है. इसी बीच तालिबान ने वहां एक एक स्थानीय भेड़ के अंडकोष (lamb testicles foods ) से बनने वाले व्यंजन पर पाबंदी लगा दी है. एक मीडिया रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है.
आरएफई/आरएल की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने भेड़ और दूसरे जानवरों के अंडकोष (lamb testicles ) की बिक्री पर हाल ही में ऐलानिया तौर पर पाबंदी लगा दी है, जिसके बाद स्थानीय कारोबारी और ग्राहक दोनों नाराज हो गए हैं. लोगों का कहना है कि तालिबान मुख्य समस्याओं से बचने के लिए छोटी-मोटी समस्याओं को उजागर कर अवाम का ध्यान भटका रहा है. 

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बड़े मुद्दों को नजर अंदाज कर रही है सरकार 
हेरात के एक निवासी ने कहा, ’’मुझे हैरत है कि तालिबान भेड़ के अंडकोष की बिक्री पर पाबंदी लगाने जैसे छोटे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हैं. यह हकीकत में कोई मुद्दा नहीं है. अफगानिस्तान में गरीबी और लड़कियों के स्कूलों को बंद करने जैसी कई बड़ी समस्याएं हैं, जिसे सरकार लगातार नरजअंदाज कर रही है. मुल्क इस वक्त गंभीर सूखे और बीमारी से पैदा हुए मानवीय संकट से जूझ रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने मुल्क को भूख हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया है. 

सरकार ने पाबंदी का बताया धार्मिक आधार 
उधर, सरकार ने कहा है कि पशु अंडकोष की बिक्री पर बैन मौखिक रूप से सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई की रोकथाम के लिए मंत्रालय की प्रांतीय शाखा द्वारा सितंबर माह में किया गया था. हेरात में मंत्रालय के विभाग के प्रमुख, अजीजुल रहमान मोहजेर ने कहा, ’’यह फैसला इस्लामी धार्मिक विद्वानों द्वारा जारी एक फरमान पर लिया गया था, जिन्होंने जानवरों के अंडकोष को खाने से मना किया था. आरएफई/आरएल ने बताया कि भेड़ के अंडकोष, जिसे अक्सर स्थानीय रूप से ’कलपुरा’ के नाम से जाना जाता है, इसे कबाब के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह एक मुख्य भोजन नहीं है, बल्कि स्वादिष्ट है जिसके बारे में माना जाता है कि यह पुरुषों में पौरूष शक्ति बढ़ता है. इसलिए कुछ लोग इसको खाने में इस्तेमाल करते हैं.’’

1,500 दुकानों में बिकते थे भेड़ के अंडकोष 
हेरात बुचर्स यूनियन के मुताबिक, पाबंदी से पहले 1,500 से ज्यादा मकामी कसाई की दुकानों में भेड़ के अंडकोष बिकते थे, लेकिन कसाई अब उन्हें फेंकने को मजबूर हो रहे हैं. पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से नए प्रतिबंधों ने मकामी कारोबारियों को नुकसान पहुंचाया है, और पहले से ही आर्थिक बदहाली और नौकरी के नुकसान से पीड़ित देश के इस प्रांत में लोगों की आजीविका छीन ली है.


हुक्का और तंबाकू पर भी प्रतिबंध 
हेरात ने एक और चीज पर बैन लगाया है, लेकिन इस प्रतिबंध को पूरे मुल्क में लागू नहीं किया गया है. अक्टूबर में, प्रांत में तालिबान सरकार ने हुक्का, या ’शीशा’ पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि लोकप्रिय तंबाकू-धूम्रपान शगल इस्लाम के तहत प्रतिबंधित है. उसके अलावा स्थानीय नाइयों ने भी कथित तौर पर इस डर से दाढ़ी काटना बंद कर दिया है कि ऐसा करने से तालिबान नाराज हो सकता है.


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