न्यूयॉर्कः मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया है कि अफगानिस्तान में तालिबान की कार्रवाई ने महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी तबाह कर दी है. महिलाओं के मुताबिक, छोटे-मोटे कानूनों के उलंघन में उन्हें ऐसी सजा दी जाती है कि वह किसी से अपना दर्द भी साझा नहीं कर सकती हैं.  अगस्त 2021 में जब से तालिबान ने देश पर कब्जा किया, महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा, रोजगार और आजादी के आंदोलन के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है. घरेलू हिंसा से भागने वालों के लिए सुरक्षा और समर्थन की व्यवस्था को सरकार ने खत्म कर दिया है. भेदभावपूर्ण नियमों के मामूली उल्लंघन के लिए महिलाओं और लड़कियों को हिरासत में लिया जा रहा है और अफगानिस्तान में नाबालिगों के जल्दी और जबरन विवाह की दर में भारी इजाफा हो गया है. 

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महिलाओं को उनकी स्वतंत्रता से किया जा रहा है वंचित 
एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा है कि तालिबान के अफगानिस्तान के अधिग्रहण के एक साल से भी कम वकफे में, सख्त नीतियां लाखों महिलाओं और लड़कियों को सुरक्षित, स्वतंत्र और मुकम्मल जिंदगी जीने के हक से महरूम कर रही हैं. तालिबान की ये नीतियां दमन का एक निजाम बनाती है, जो महिलाओं और लड़कियों के साथ उनके जीवन के लगभग हर पहलू में भेदभाव करती है. अफगानिस्तान की आधी महिला आबादी के खिलाफ तालिबान की यह भेदभावपूर्ण वाली कार्रवाई दिन प्रति दिन बढ़ रही है. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तत्काल मांग करनी चाहिए कि तालिबान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की इज्जत और उनकी हिफाजत करे. 

जेल में महिलाओं को दिए जा रहे हैं बिजली के झटके 
तालिबान के जुल्मों की शिकार महिलाओं में से एक ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया कि हमें हमारे स्तनों पर और पैरों के बीच में मारा गया. हमें ऐसी जगह मारा, ताकि हम दुनिया को न दिखा सकें. मेरे बगल में चल रहे एक तालिबानी सैनिक ने मेरे स्तन पर मारा और उसने कहा कि मैं अभी तुम्हारी जान ले सकता हूं और कोई कुछ नहीं कहेगा. जेल में बंद एक महिला ने बताया कि जेल अधिकारियों ने तालिबान के सदस्यों ने मुझे बिजली के झटके देना शुरू कर दिया. मेरे कंधे, चेहरे, गर्दन, हर जगह करंट लगया गया. बंदूक रखने वाले ने कहा, मैं तुम्हें मार दूंगा, और कोई भी तुम्हारी बॉडी नहीं ढूंढ पाएगा.

रिहाई के लिए माननी पड़ती है शर्तें 
तालिबान द्वारा संचालित डिटेंशन केंद्रों के व्हिसलब्लोअर के मुताबिक, तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों को उनकी भेदभावपूर्ण नीतियों के मामूली उल्लंघन के लिए गिरफ्तार कर लेते हैं. अपनी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए, महिलाओं को समझौतों पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया जाता है ताकि वे और उनके परिवार के सदस्य ना तो फिर से विरोध करेंगे और ना ही सार्वजनिक रूप से हिरासत में अपने मिले अपने अनुभवों को किसी के साथ साझा करेंगे. 

सार्वजनिक स्थान पर अकेले दिखने पर हो जाती हैं गिरफ्तार 
जेल स्टाफ के एक सदस्य ने बताया कि कभी-कभी लड़के और लड़कियां कॉफी शॉप पर आते हैं. अगर वह किसी महिला को देखते हैं, जो बिना महरम के साथ आती है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. हालांकि, पहले इस तरह के मामले नहीं होते थे. इस वजह से जेल में महिला कैदियों की तादाद हर महीने बढ़ रही है. एक यूनिवर्सिटी की छात्रा, जिसे 2022 में हिरासत में लिया गया था, ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया कि महरम कानूनों से संबंधित इल्जाम में गिरफ्तार होने के बाद उसे धमकी दी गई और उसके साथ मार-पीट की गई. 



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