शादी से पहले प्रेम करने वाले जोड़े पर बरसाए गए कोड़े; लड़की के साथ भागने पर फांसी
Taliban publicly flogs boy and girl for having love affair: अफगानिस्तान में तालिबान के अफसरों ने इस जोड़े को शुक्रवार को सार्वजनिक तौर से 39 कोड़े मारने की सजा दी, जिसे लगभग 1,000 लोगों ने देखा.
बामियानः अफगानिस्तान के बामियान प्रांत में तालिबान अफसरों ने शुक्रवार को सार्वजनिक रूप से एक लड़के और एक लड़की को विवाह पूर्व संबंध रखने के लिए पिटाई की. इससे पहले एक स्थानीय अदालत ने 17 नवंबर को जोड़े को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने का आदेश दिया था. अरेजू और मोहम्मद एसा को कोर्ट ने सार्वजनिक तौर पर उनतालीस कोड़े मारने की सजा सुनाई थी, क्योंकि वे दोनों कथित तौर पर एक दूसरे से प्रेम संबंधों में थे. विवाह के पहले किसी युवक और युवती का आपस में प्रेम संबंध रखना शरिया कानून के तहत अपराध माना जाता है. इस जोड़े को शुक्रवार को सार्वजनिक तौर से 39 कोड़े मारने की सजा दी गई जिसे लगभग 1,000 लोगों ने देखा. इस दोनों जोड़े को बामियान की यात्रा के दौरान पुलिस ने हिरासत में लिया था.
लड़की के साथ भागने वाले को दी जा चुकी है फांसी
ऐसी ही एक घटना अफगानिस्तान के घोर प्रांत में हुई पिछले माह हुई थी. 16 अक्टूबर को तालिबान द्वारा सार्वजनिक रूप से पत्थर मारने की योजना बनाने से ठीक पहले एक लड़की ने खुदकशी कर ली थी, क्योंकि उसे एक आदमी के साथ घर से भागने का दोषी पाया गया था. जिस शख्स के साथ वह भागी थी, उसे इसी साल 13 अक्टूबर को फांसी दे दी गई थी.
जजों को शरिया कानून के मुताबिक फैसले देने के आदेश
तालिबानी शासन में फांसी, अंगों के विच्छेदन, और सार्वजनिक तौर पर पत्थर और कोड़े मारने की सजा देना आम है. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से इसी तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं. खामा प्रेस के मुताबिक, तालिबान सुप्रीमो मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा ने पहले अदालत के न्यायाधीशों के साथ एक बैठक में कहा कि उन्हें इस्लामी कानून के मुताबिक, हदद और किसास दंड देने में संकोच नहीं करना चाहिए.
देश में भुखमरी, लड़कियों को कम दिया जा रहा है खाना
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति बेहद खराब हो गई है. तालिबान के कब्जे के बाद मुल्क की लड़कियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी खराब हुई है. लाइफ फॉर चिल्ड्रन वन इयर्स सिन्स द तालिबान टेकओवर शीर्षक वाली रिपोर्ट बताती है कि 97 फीसदी परिवार देश में अपने बच्चों के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और लड़कियां लड़कों की तुलना में कम खाना खा रही हैं.
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