नई दिल्लीः मानवाधिकार को लेकर जारी की गई वार्षिक में  अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है.  
भारत के मानवाधिकारों के खराब रिकॉर्ड की आलोचना करते हुए विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका इस बात पर नजर रख रहा है कि कुछ राज्य सरकारों, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा भारत में मानवाधिकारों का उल्लंघन किए जाने के मामले में वृद्धि दर्ज की गई है. इस रिपोर्ट में 198 देशों को शामिल किया गया है.
गौरतलब है कि हाल के कुछ वर्षों में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद कुछ समूहों ने भारत में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की है.  

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मुसलमानों को लक्षित कर रही हैं सरकार की नीतियां 
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार की नीतियां और कार्य विशेष रूप से मुसलमानों को लक्षित करते हैं. संगठन ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद से धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए मोदी की सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने 2019 के नागरिकता कानून को “मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण“ बताया है, क्योंकि इसमें पड़ोसी देशों के मुस्लिम प्रवासियों को बाहर रखा गया था. इस रिपोर्ट में धर्मांतरण विरोधी कानून की भी आलोचना की गई है और संवैधानिक रूप से धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी पर सवाल उठाया गया है. 

प्रेस की आजादी का घोंटा जा रहा है गला 
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि नागरिक समाज संगठनों ने चिंता व्यक्त की है कि केंद्र सरकार ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को हिरासत में लेने के लिए यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून) का इस्तेमाल कर रही है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मोदी के पद संभालने के बाद से वार्षिक रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ग्लोबल और प्रेस फ्रीडम इंडेक्स रैंकिंग में भारत 140वें से गिरकर 150वें स्थान पर आ गया है, जो अभी तक का सबसे निचला स्थान है. पिछले पांच वर्षों  बड़ी संख्या में इंटरनेट शटडाउन के लिए भी भारत वैश्विक सूची में शीर्ष स्थान पर है.


पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर भी चिंता
अमेरिका के इस वार्षिक रिपोर्ट में पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर भी गंभीर चिंता जताई गई है. रिपोर्ट में पाकिस्तान में सरकारी बलों के हाथों असाधारण हत्याओं, गिरफ्तारियों और जबरन लापता होने की घटनाओं की तरफ इशारा किया गया है. रिपोर्ट में पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया पर प्रतिबंध और पत्रकारों पर अत्याचार पर भी रौशनी डाली गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के अधिकांश हिस्सों में महिलाओं, बच्चों और श्रमिकों के खिलाफ भेदभाव के अनगिनत मामले सामने आए हैं, लेकिन सरकार ऐसे मामलो पर कार्रवाई करने में विफल रही है. 

रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया में भी हालात बदतर 
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में दुनिया भर के देशों में मानवाधिकारों के हालात का विवरण दिया जाता है. इस वार्षिक रिपोर्ट में ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमार जैसे कुछ दूसरे देशों के साथ-साथ मानवाधिकारों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के लिए रूस और चीन की भी आलोचना की गई है. रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण किया था, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा सहित नागरिकों को फांसी देना और लिंग आधारित हिंसा शामिल है. वहीं चीन ने शिनजियांग में खासतौर पर मुस्लिम उइगरों और अन्य जातीय व धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है. 


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