China News: चीन के चल रहे जनसांख्यिकीय संकट के बीच कम्युनिस्ट पार्टी के जरिए स्थापित नया 'जन्म-समर्थक एजेंडा' देश की महिलाओं के साथ अच्छा नहीं चल रहा है, जिन्होंने पहले बीजिंग के 'एक-बच्चे के शासन' की भयावहता का सामना किया है. बीजिंग में साल 2021 में देश की तीन-बच्चे की नीति लागू होने के बाद से 'जन्म-समर्थक एजेंडा' को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू कर रहा है. ऐसा इसलिए है. क्योंकि चीन की आबादी खतरनाक दर से घट रही है.


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बच्चे पैदा करने के लिए सरकार दे रही है महिलाओं को इनाम
चीन में मूल रूप से एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने के खिलाफ चेतावनी देने वाले नारे और पोस्टरों को उन लोगों से बदल दिया गया है, जो ज्यादा बच्चे पैदा करने को बढ़ावा देते हैं. मकामी सरकारों के जरिए नकद इनाम, रियल एस्टेट सब्सिडी और मैटरनिटी लीव समेत कई नीतिगत प्रोत्साहन लागू किए गए हैं. हालाँकि, कुछ भी काम नहीं करता है, क्योंकि चीन में महिलाएँ अब बच्चे पैदा करने में रुचि नहीं रखती हैं.


ऐसे हुआ मामला का खुलासा
चीन में बाल नीतियों के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करने वाला एक ऐसा ही मामला फैंग का है, जो अपने प्री-स्कूल के दिनों से ही, वह आधिकारिक तौर पर अपने सबसे बड़े चाचा की बेटी के रूप में पंजीकृत थी. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उसके माता-पिता ने नौकरी खोने सहित कठोर दंड से बचने के लिए अपनी दूसरी प्रग्नेंसी को छिपाने की कोशिश की थी. उस समय, चीन का विवादास्पद 'एक-बच्चा' नियम 1980-2015 तक लागू था.


फैंग ने एक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि मुझे सच में पता नहीं था कि मुझे किस माता-पिता का नाम लेना चाहिए." उधर चीन की सरकार ने जनसांख्यिकीय संकट को टालने के लिए धीरे-धीरे जन्म कोटा एक से दो बच्चों तक बढ़ा दिया, फिर 2021 में तीन कर दिया है. 


चीन में महिलाएं इस बात से हैं दुखी
एक-बच्चा नीति अब प्रभावी नहीं है, लेकिन अतीत के निशान अभी भी बने हुए हैं. फैंग की तरह महिलाओं की एक नई पीढ़ी माता-पिता बनने से हिचकिचाती है. क्योंकि वे अपने माता-पिता की कठिनाइयों और एक-बच्चे वाले नागरिक के रूप में उनके के जरिए किए गए बलिदानों से दुखी हैं. इससे बीजिंग के मौजूदा वक्त में जन्म-समर्थक अभियान का समर्थन करना मुश्किल हो जाता है.