काबुल: अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ती हिंसा और जंग के दरमियान तालिबान के साथ बातचीत और शांति की राह हमवार करने के लिए अफ़ग़ान नेताओं की 10 रुक्नी टीम  शुक्रवार दोपहर काबुल से दोहा के लिए रवाना हो गई है. इस वफ़द को उम्मीद है कि सिक्योरिटी फोर्सेज और तालिबान के बीच जारी हिंसा के बावजूद अभी भी मुल्क शांति की बहाली के इमकानात मौजूद हैं.


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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस 10 रुक्नी टीम में कौमी सुलह के लिए सुप्रीम काउंसिल के सरबराह अब्दुल्ला अब्दुल्ला, साबिक, नायब सदर मोहम्मद करीम ख़लीली, अता मोहम्मद नूर, चीफ वार्ताकार मासूम स्टेनकज़ई, सलाम रहीमी, फ़ातिमा गिलानी और शांति मामलों के वज़ीरे सादात मंसूर नादेरी शामिल हैं.


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इस वफद के दोहा रवाना होते वक्त साबिक सदर  हामिद करज़ई उनके साथ काबुल हवाई अड्डे तक गए जहां उन्होंने अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ खड़े होकर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए और कहा कि ये वफद पूरी तरह से ऑफिशियल है. वह तालिबान से साथ बातचीत करेंगे और इस वफ़द को उनकी पूरी हिमायत हासिल है.



इसी दरमियान अब्दुल्ला अब्दुला ने मीडियो को खिताब करते हुए कहा कि दोहा में तालिबान से मिलने वाला अफ़ग़ानिस्तान का वफ़द एकजुट टीम की तरह है जो पूरे अफ़ग़ानिस्तान की नुमाइंदगी करती है. उन्होंने कहा कि उनका मानना ​​है कि मुल्क के कई हिस्सों में सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच जारी हिंसा के बावजूद अभी भी अमन का इमकान है.


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गौरतलब है कि इस साल दिसंबर तक अफ़ग़ानिस्तान से गैर मुल्की अफवाज का इंखिला हो जाएगा. इसके साथ ही तालिबा ने मुल्क में अपनी पेशकदमी जारी रखी है. जिसके के नतीजे में मुल्क भर में जंग की सूरते हाल पैदा हो गई है. तालिबान ने दावा किया है कि उसने अफ़ग़ानिस्तान के 85 फीसदी हिस्से पर काबू हासिल कर लिया है. इस वक्त अफ़ग़ानिस्तान खाना जंगी के दिहाने पर खड़ा है. इसी हिंसा और खाना जंगी को रोकने लिए कतर के दोहा में अफ़ग़ान हुकूमत के नुमाइंदे और तालिबान के दरमियान बातचीत होने जा रही है.


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