कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मुल्क में राजनीतिक स्थिरता लाने और देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. राष्ट्रपति ने शुक्रवार को अनुभवी नेता और राजपक्षे खानदान के करीबी दिनेश गुणवर्धने को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है. राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यकाल के पहले दिन मंत्रिमंडल के 18 सदस्यों ने शपथ लिया. प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के अलावा मंत्रिमंडल में 17 दीगर मंत्रियों को शामिल किया गया है. 
वित्त मंत्री रहे अली साबरी को विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है. विश्लेषकों का मानना है कि साबरी को विदेश मंत्री का ओहदा इसलिए दिया गया है, ताकि वह अपनी कुशलता और क्षमता का इस्तेमाल कर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से समझौता करने में कर सकें.

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एक ही स्कूल में पढ़े हैं राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री गुणवर्धने
श्रीलंका की राजनीति में अनुभवी नेता गुणवर्धने को अप्रैल में, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के शासन के दौरान गृह मंत्री बनाया गया था. वह विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद प्रधानमंत्री का ओहदा खाली हो गया था. गोटबाया राजपक्षे के श्रीलंका छोड़ने और पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने गुरुवार को देश के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री गुणवर्धने एक ही स्कूल में पढ़े हैं और विभिन्न मंत्रालयों को संभाल चुके हैं.

कई मंत्रियों को सौंपे गए उनके पुराने विभाग 
लोक प्रशासन, गृह मामले, प्रांतीय परिषद और स्थानीय शासन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार प्रधानमंत्री गुणवर्धने (73) को दिया गया है. अन्य मंत्रियों को उनके पुराने मंत्रालय ही दिए गए हैं. वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार विक्रमसिंघे के पास है. विक्रमसिंघे ने कहा कि देश के अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट को दूर करने के वास्ते सर्वदलीय सरकार के गठन के लिए वह कदम उठा रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया गया 
श्रीलंका की नई सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों को शुक्रवार तड़के बलपूर्वक हटाने पर कई मुल्को के राजदूतों और उच्चायुक्तों ने चिंता जताई है. श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने इसपर गहरी चिंता जताने के लिए विक्रमसिंघे से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि पूरी रात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हुई हिंसा परेशान करने वाली है. वहीं, नवनियुक्त राष्ट्रपति ने कहा कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करेंगे, लेकिन उनसे सख्ती से निपटेंगे, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की आड़ में हिंसा को प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हैं. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया था.

दिवालिया हो चुका श्रीलंका 
गौरतलब है कि इस वक्त श्रीलंका लगभग दिवालिया हो चुका है.  श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर पिछले कुछ महीनों से संघर्ष की स्थिति बनी हुई है. कई लोग इस स्थिति के लिए अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन को जिम्मेदार मानते हैं. प्रदर्शनों की वजह से ही गोटबाया राजपक्षे को पद छोड़ना पड़ा था. राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया था, लेकिन आधिकारिक रूप से उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ली, जब 20 जुलाई को संसद ने उन्हें निर्वाचित घोषित किया.


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