Masjid Al Aqsa: रमजान को देखते हुए इजरायल ने मस्जिद अल अकसा (Masjid Al Aqsa) में गैर मुस्लिमों की एंट्री पर पाबंदी लगा दी है. आदेश में कहा गया है कि जब तक कि रमज़ान खत्म ना हो जाए तब तक कोई भी गैर मुस्लिम मस्जिद के अंदर दाखिल नहीं होगा. अरब न्यूज के मुताबिक दक्षिणपंथी दल के नेता और आतंकवाद समर्थक इतामार बेन गवीर ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. उनका कहना है कि जब हम हमले होंगे तो हमें भी पूरी ताकत के साथ जवाब देने का चाहिए. 


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मंगलवार को इजरायली सिक्योरिटी फोर्सेज़ ने अल-अक्सा मस्जिद परिसर के अंदर लगभग 800 रिहायशियों को मस्जिद में इबादत करने की इजाज़त दी थी. जबकि रमजान के आखिरी अशरे (आखिरी 10 दिन) में इस तरह की गतिविधियों की इजाज़त नहीं होती. समझौते के उल्लंघन के बाद कड़ी प्रतिक्रिया हुई जिसके बाद इजयारल ने पाबंदी का ऐलान किया.


यरूशलम और फिलिस्तीन के पूर्व मुफ्ती और अल-अक्सा मस्जिद के खतीब शेख अकरामा सईद साबरी ने अरब न्यूज़ को बताया, "इज़राइल यह साबित करना चाहता है कि यह तय करेगा कि अल-अक्सा में क्या हो सकता है और क्या नहीं, और हम इसे होने देंगे." उन्होंने आगे कहा कि हम इसे विरोध के तौर पर देख रहे हैं. 


बता दें कि रमजान के दौरान इजरायल और फिलिस्तीन के बीच अक्सर संघर्ष देखने को मिलता है. रमजान के महीने में दोनों पक्षों के बीच तनाव चरम पर पहुंच जाता है. क्योंकि यरुशलम में मौजूद यह मस्जिद मुस्लिम और यहूदी दोनों धर्म के मानने वालों लिए पवित्र जगह है. मुसलमानों के लिए पहला हरम है. दुनियाभर के मुसलमान मक्का के काबा से पहले इसी की तरफ मुंह करके नमाज़ अदा करते थे. फिलहाल मक्का और मदीना के बाद मुसललमानों के लिए यह तीसरा सबसे मुकसद्द मकाम है. 


यहूदियों की बात करें तो उनके लिए भी यह सबसे पवित्र जगह है. उनका कहना है कि यहां पहले यहूदियों का इबादतगाह होती थी. यहां मौजूद 'शोक की दीवार' (Wailing Wall) को यहूदी अपने मंदिर के अवशेष मानते हैं. उनका विश्वास है कि बाइबल में जिन यहूदी मंदिरों के बारे में बताया गया है वो अल-अक्सा मस्जिद परिसर में ही थे. यहूदियों का संगठन 'टेंपल इंस्टीट्यूट' तो परिसर में एक अन्य यहूदी मंदिर बनाने का इरादा रखता है.


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