SAARC में पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल; आतंकवाद का कर रहा समर्थन: एस जयशंकर
Pakistan Terrorism: विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर दहशतगर्दी के `टूलकिट` का अलग-अलग तरीकों से सार्क के सदस्यों समेत अन्य मुल्कों के खिलाफ इस्तेमाल करने का इल्जाम लगाया. एस जयशंकर ने अनंत एस्पेन सेंटर में एक `थिंकटैंक` के डॉयलॉग सेशन में सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि SAARC संकट में है.
S Jaishankar On SAARC: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान में नई हुकूमत की तश्कील से पहले शनिवार को क्षेत्रीय समूह दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की बहाली के किसी भी तत्काल संभावना से इनकार कर दिया. विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर दहशतगर्दी के 'टूलकिट' का अलग-अलग तरीकों से सार्क के सदस्यों समेत अन्य मुल्कों के खिलाफ इस्तेमाल करने का भी इल्जाम लगाया. एस जयशंकर ने अनंत एस्पेन सेंटर में एक 'थिंकटैंक' के डॉयलॉग सेशन में सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि SAARC संकट में है. क्योंकि इसका एक मेंबर देश लगातार दहशतगर्दी की हिमायत कर रहा है.
विदेश मंत्री ने कहा कि, अगर आप मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं सार्क के लिए कोई भविष्य देखता हूं, तो वास्तव में आप मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या मैं उस मुल्क के लिए कोई फ्यूचर देखता हूं. क्योंकि, अगर वह मुल्क हकीकत में अपने शस्त्रागार या टूलकिट में इस तरह के विकल्पों को नहीं छोड़ता है, तो यह सिर्फ सार्क नहीं है जो खतरे में है. मेरा मतलब है, बहुत साफ तौर से, आप उस देश की हालत को भी देख रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि, क्या भारत को उसके पड़ोसी देश दबंग मानते हैं, जयशंकर ने कहा, जब पड़ोसी देश परेशानी में होते हैं तो दबदबा बनाने वाला बड़ा देश 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर नहीं देता है. जब कोविड का दौर चल रहा था, तब दबदबा बनाने वाले बड़े देशों ने दूसरे मुल्कों को टीके की सप्लाई नहीं की.
एस जयशंकर ने कहा कि सार्क मुश्किल में है. क्योंकि, इसका एक मेंबर दहशतगर्दी को सपोर्ट कर रहा है. दरअसल SAARC दक्षिण एशियाई देशों की एक ऐसी तंजीम है जिसमें हिन्दुस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि, बहुत ईमानदारी से, पड़ोस में हमारी प्रॉब्लम, एक देश के साथ है. डिप्लोमेसी में, आप हमेशा उम्मीदें बनाए रखते हैं. एक दिन कौन जानता है कि मुस्तकबिल में क्या होगा. एस जयशंकर ने डीपफेक जैसी नयी तकनीकों से कौमी सलामती के लिए खतरा पैदा होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया और कहा कि साइबर डोमेन के जरिए से विदेशी दखल अंदाजी की कोशिश बढ़ रही है.