Finland Election: फिनलैंड आम इलेक्शन के लिए रविवार को हो रहे मतदान में तीन पार्टियों के बीच कांटे के टक्कर की संभावना नजर आ रही है. वहीं, प्रधानमंत्री सना मारिन की सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी हुकूमत में दूसरी बार वापसी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. फिनलैंड की 200 सदस्यीय संसद एदुसकुंता में निर्वाचन के लिए 22 सियासी पार्टियों के 2 हजार 400 से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. देश के रजिस्टर्ड वोटर्स में से तकरीबन 40 फीसदी ने पहले ही अपने वोट डाल दिए हैं.


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यूरोप की सबसे युवा लीडरों में  शामिल प्रधानमंत्री सना मारिन को कोविड-19 महामारी से निपटने और उस दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए खूब तारीफें मिली हैं. राष्ट्रपति एस. निनिस्तो के साथ मिलकर फिनलैंड को सफलतापूर्वक नाटो में शामिल कराने का क्रेडिट भी उन्हें को दिया जाता है. इतना ही नहीं, यूक्रेन का मुखर समर्थन करने की वजह से अब दुनिया के नक्शे पर भी वह नजर आने लगी हैं. मध्य हेलसिंकी में शनिवार को प्रचार के दौरान मारिन ने बताया कि, हम उम्मीद करते हैं कि सोशल डेमोक्रेट्स यह चुनाव जीतें.



साथ ही उन्होंने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, हम बेहतर हरित समावेशी भविष्य बनाना चाहते हैं जहां लोगों को ज़िंदगी गुजारने में समान अवसर मिलें. बता दें कि मारिन देश में काफी मकबूल हैं, और उन्होंने फिनलैंड की इकानॉमी पर अपनी पार्टी के दृष्टिकोण को चुनाव प्रचार में प्रमुखता दी है, लेकिन अर्थव्यवस्था पर उनके नजरिए को दो अहम अपोज़िशन पार्टियां कड़ी चुनौती दे रही हैं. इस चुनाव में मुख्य मुकाबला पेटेरी ओर्पो के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी कंजर्वेटिव नेशनल कोलिशन पार्टी, प्रधानमंत्री साना मारीन की सोशल डेमोक्रेट्स और फिन्स पार्टी के बीच है. पिछले वर्ष में यूक्रेन के उनके कट्टर समर्थन ने उनकी अंतरराष्ट्रीय दृश्यता में वृद्धि हुई है. वह अपनी सीधी-सादी राजनीति और आधुनिक नारीवादी आदर्शों के लिए जानी जाती हैं.


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