Kenya Parliament Fire: केन्या में नाराज भीड़ ने पार्लियामेंट में लगाई आग, इस बात से खफा हैं लोग
Kenya Parliament Fire: केन्या में एक बिल को लेकर भारी विवाद जारी है. गुस्साई भीड़ ने पार्लियामेंट में आग लगा दी. लोगों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई,
Kenya Parliament Fire: मंगलवार को केन्या में भारी विवाद देखने को मिला है. यहां पार्लियामेंट में घुसने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई हैं. जिसमें कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है. गुस्सा हुई भीड़ ने संसद भवन के कुछ हिस्सों में आग लगा दी. वहीं इसी दौरान सांसद टैक्स से जुड़ा बिल पास कर रहे थे.
केन्या में भारी विवाद
वायरल हो रहे वीडियोज़ में प्रदर्शनकारी पुलिस पर दबाव बनाते और संसद में घुसने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. हालांकि पुलिस उन्हें खदेड़ देती है और इसी दौरान संसद में आग की लपटें देखी जा सकती हैं. जब आंसू गैस और पानी की बौछारें भीड़ को तितर-बितर करने में विफल रहीं, तो पुलिस ने गोलियां चलाईं. रॉयटर्स के एक पत्रकार ने संसद के बाहर कम से कम पांच प्रदर्शनकारियों की लाशें गिनी हैं.
संसद में घुसने की कोशिश कर रहे एक प्रदर्शनकारी डेविस तफ़ारी ने रॉयटर्स से कहा, "हम संसद को बंद करना चाहते हैं और हर सांसद को नीचे उतरकर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. इसके बाद हमारे पास एक नई सरकार होगी. देश भर के कई अन्य शहरों और कस्बों में भी विरोध प्रदर्शन और झड़पें हुई हैं.
पास हुआ संसद से बिल
संसद ने फाइनेंस बिल को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद इसे सांसदों के जरिए तीसरी बार पढ़ा जाएगा. अगला कदम यह है कि बिल को हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. अगर उन्हें कोई आपत्ति है तो वे इसे संसद में वापस भेज सकते हैं. प्रदर्शनकारी पहले से ही जीवन-यापन की लागत के संकट से जूझ रहे देश में टैक्स में इजाफा का विरोध कर रहे हैं, और कई लोग राष्ट्रपति विलियम रुटो के पद छोड़ने की भी मांग कर रहे हैं.
आर्थिक संकट से जूझ रहा है केन्या
रुटो ने लगभग दो सालों पहले केन्या के कामकाजी गरीबों के लिए आवाज उठाने के मंच पर चुनाव जीता था, लेकिन वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे ऋणदाताओं की प्रतिस्पर्धी मांगों और कठिनाई में फंस गए हैं, जिसके बाद से ही मुल्क के यह हालात बने हुए हैं. केन्याई लोग कोविड-19 महामारी, यूक्रेन में युद्ध, लगातार दो वर्षों के सूखे और मुद्रा के अवमूल्यन के कारण उत्पन्न कई आर्थिक झटकों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
फाइनेंशियल बिल का मकसद भारी कर्ज के बोझ को हल्का करने के तौर पर करों के रूप में 2.7 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि जुटाना है, क्योंकि अकेले ब्याज भुगतान में ही सालाना रेवेन्यू राजस्व का 37% हिस्सा खर्च हो जाता है.