ब्रिटिश संसद की टपकती छत और जर्जर इमारत को बनाने के लिए सरकार के पास नहीं है पैसे !
Leaky crumbling UK Parliament at risk of catastrophic event: ब्रिटिश संसद की दीवारों में दरार पड़ गया है और छतों से पानी टपक रहा पानी. सांसदों ने इमारत के कभी भी ढहने की आशंका जताई, लेकिन सरकार के पास इसे बनाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं है.
लंदनः कभी कहा जाता था कि ब्रिटेन में सूरज कभी अस्त नहीं होता है, यानी आधी से ज्यादा दुनिया पर ब्रिटेन हुकूमत करता था. लेकिन हालात कभी किसी के एक जैसे नहीं होते हैं. पिछले कुछ सालों से खासकर कोविड महामारी के बाद ब्रिटेन के माली हालत लगातार खराब होते जा रहे हैं. अब ब्रिटेन से एक ऐसी खबर आई है, जो काफी हैरान करने वाली है. ब्रिटेन की जिस संसद से आधी दुनिया पर हुकूमत करने की पॉलिसी बनाई जाती थी और फैसले लिए जाते थे, आज ब्रिटेन की वह संसद भवन खस्ता हालत में पहुंच गई है. विशेषज्ञों की माने तो संसद भवन के कुछ हिस्से कभी भी धराशायी होकर गिर सकते हैं.
हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग आते हैं संसद को देखने
खास बात यह है कि ब्रिटिश संसद की वास्तुकला दुनियाभर में मशहूर है, और इसे यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी हासिल है. यहां हर साल औसतन 10 लाख से भी ज्यादा लोग इस शानदार इमारत को देखने आते हैं. हालांकि, ब्रिटिश सांसदों ने बुधवार को आगाह किया है कि संसद भवन की दीवारों में पड़ी दरारें बढ़ रही हैं और उसकी छत से पानी भी टपक रहा है. सांसदों ने आशंका जताई है कि यह इमारत किसी भी वक्त ढह सकती है.
20 लाख पाउंड प्रति सप्ताह खर्च हो रहा
ब्रिटिश संसद हाउस ऑफ कॉमन्स की लोक लेखा समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "ब्रिटिश संसद की छत से पानी टपक रहा है. उसकी दीवारें दरक रही हैं, और इमारत के ढहने का खतरा लगातार बना हुआ है. मरम्मत का काम काफी अरसे से नहीं हुआ है और इसे शुरू किए जाने से पहले ही ‘किसी आपदा के कारण इमारत के ढहने का खतरा है. ये खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.’ समिति ने कहा कि 19 वीं सदी में निर्मित इस इमारत के नवीकरण का काम काफी धीमी रफ्तार से हो रहा है. मरम्मत के काम पर तकरीबन 20 लाख पाउंड प्रति सप्ताह खर्च हो रहा है.’’
1834 में बनी थी इमारत
मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल सिस्टम को आखिरी बार 1940 के दशक में अपडेट किया गया था. 2016 से संसद में 44 बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी है. इसमें आग लगने का खतरा हमेशा बना रहता है. वर्तमान इमारत, 1834 में पुरानी इमारत में आग लगने के बाद नए सिरे से बनाई गई थी. संसद भवन के इतना जर्जर होने के बाद भी सांसद इस पर ज्यादा पैसे खर्च करने की हरी झंडी देने से हिचक रहे हैं. कुछ लोगों को चिंता है कि ऐसे वक्त में जब बहुत से लोग जो अपनी जिंदगी का गुज़ारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, अगर संसद भवन के लिए सरकार ज्यादा पैसे खर्च करने को मंजूरी देती है, तो इससे देश की जनता नाराज हो सकती है. अधिकारियों ने कहा है कि वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस इमारत को संरक्षित करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं.
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