Britain PM Liz Truss resign: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस के इस्तीफ़ा देने के साथ ही ब्रिटेन में सियासी बोहरान का दौर शुरू हो गया है. लिज़ ट्रस पीएम के ओहदे पर केवल  44 दिन ही बरक़रार रहीं. उनके इस्तीफे से पहले कई मंत्रियों के इस्तीफे आ चुके थे. इस्तीफा देने के बाद लिज़ ट्रस ने अपने संबोधन में कहा कि मैं उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी. मैंने यह पद संकट के समय में संभाला था. लिज़ ट्रस ब्रिटेन के इतिहास में सबसे कम वक़्त तक रहने वाली प्रधानमंत्री बन गई हैं. 


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बिगड़े हालात में संभाला ओहदा
दरअसल जिस वक़्त लिज़ ट्रस ने पीएम का ओहदा संभाला उस समय  क्वीन एलिज़ाबेथ 2 की मृत्यु हो गई और पूरे ब्रिटेन में ग़म की लहर थी. जब 23 सितंबर को ट्रेज़री सेक्रेटरी ने आर्थिक योजनाओं की घोषणा की तो उसमें कई कमियां नज़र आईं. सरकार ने तक़रीबन 5,000 करोड़ के टैक्स कटौती का ऐलान तो किया लेकिन यह साफ नहीं कर पाईं कि इसकी भरपाई कैसे करेंगी.


अमीरों के पक्ष में जाना पड़ा महंगा
कंज़र्वेटिव पार्टी के ज़्यादातर नेताओं ने कहा कि उनकी पॉलिसियां ब्रिटेन के आर्थिक संकट के बीच अमीरों की हिमायत में हैं. इस फैसले से लोग सहमत नहीं हैं. अपोज़िशन लेबर पार्टी लगातार सत्तारूढ़ सरकार को निशाना बना रही थी. लिज़ ट्रस के इस्तीफे का एक अहम कारण यह भी रहा जिससे उनको नुक़सान पहुंचा.


कंज़र्वेटिव पार्टी के नेताओं ने बनाया दबाव


लिज़ ट्रस पर लगातार पद से इस्तीफ़ा देने का दबाव था. कंज़र्वेटिव पार्टी के कई नेताओं ने दबाव बनाया था कि लिज़ ट्रस को पीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. सांसदों ने इल्ज़ाम लगाया था कि सरकार अव्यवस्थित हो गई है. किसी के पास ठोस स्कीम नहीं है और सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं.


वित्त मंत्री के फैसले ने बढ़ाई मुश्किल
वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने लिज़ ट्रस के लिए मुश्किल बढ़ा दी. सोमवार को सरकार के मिनी-बजट में कटौती कर दी थी.  जिससे लिज़ ट्रस के नेतृत्व के लिए मुश्किल और बढ़ गई और यह फैसला लिज़ ट्रस के ख़िलाफ़ साबित हुआ .


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