लंदनः ब्रिटेन जहां का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था, आज अपनी आर्थिक बदहाली में पिस रहा है. देश की अर्थव्यस्था घोर संकट में हैं. जनता भारी टैक्स से परेशान हैं. इन्ही टैक्स की वजह से बोरिस जॉनसन के बाद प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने वाली लिज ट्रस को 45 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ गया. इसे लेकर उनकी नीतियां स्पष्ट नहीं थी, उन्होंने जनता से किए वह वादे पूरे नहीं किए, जो उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री के प्रचार मुहिम के दौरान जनता से किए थे. ऐसे में ब्रिटेनवासियों और कंजरवेटिव पार्टी के सामने एक ही विकल्प था, और वह थे भारतीय मूल के पार्टी नेता ऋषि सुनक (Rishi Sunak). सुनक का पीएम बनना ब्रिटिश राजनीति में एक ऐतिहासिक पल है, क्योंकि ब्रिटेन के इतिहास में वह पहले अस्वेत पीएम बन गए हैं. 

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ब्रिटेन के अखबारों में सुनक के बारे में खुलकर चर्चा 
सुनक ब्रिटेन में एक धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक हैं, इसके बावजूद उन्हें शीर्ष पद तक पहुंचने में किसी भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ा है. दूर देश में सुनक की इस कामयाबी से भारत में काफी उत्साह का वातावरण है. दूसरी तरफ पाकिस्तान भी उनपर अपना दावा ठोक रहा है. उधर, ब्रिटेन में भी इस बात को पचाना आसान नहीं है कि ब्रटिन के एक उपनिवेश भारत का कोई आदमी देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच जाए. इस बात की चुगली वहां के कुछ अखबरों में छपने वाले रिपोर्ट और संपादकीय कर रहे हैं. ब्रिटेन में छपने वाले अखबारों के रिपोर्ट और संपादकीय में सुनक के बारे में खुलकर चर्चा की गई है. कुछ अखबारों ने उनकी तारीफ की है तो कुछ ने उनके प्रधानमंत्री चुने जाने को ’लोकतंत्र की मौत’ तक करार दे दिया है.

’एकजुट हो या मरो, टोरी सांसदों को सुनक की चेतावनी’
कुछ समाचार आउटलेट ने उनके नेतृत्व को देश के लिए “नई सुबह“ के रूप में स्वीकार किया, जबकि अन्य ने उनकी जीत की वैधता पर सवाल उठाया है. सुनक ब्रिटेन के हर बड़े अखबार के पहले पन्ने पर टॉप स्टोरी के रूप में बने हुए हैं.
लंदन से छपने वाले मशहूर अखबार गार्जियन ने अपने पहले पन्ने पर बैनर स्टोरी लगाई है, जिसका शीर्षक दिया है, ’’एकजुट हो या मरो; टोरी सांसदों को सुनक की चेतावनी. इस रिपोर्ट के साथ अखबार ने लंदन में पार्टी के प्रधान कार्यालय में 42 वर्षीय कंजरवेटिव पार्टी के नेता सुनक का स्वागत करते हुए पार्टी सांसदों के साथ उनकी एक तस्वीर लगाई है. अखबार ने अपनी रिपोर्ट में सुनक को दो महीने से कम समय में तीसरे और छह साल में पांचवें कंजर्वेटिव प्रधान मंत्री बनने की बात लिखी है. रिपोर्ट में कहा गया है, “उन्होंने देश का नेतृत्व करने वाले पहले हिंदू के रूप में भी इतिहास रच दिया है.
इसी तरह की भावना को प्रतिध्वनित करते हुए, ’द मेल’ अखबार ने हेडलाइन में उप-शीर्षक के साथ ’ब्रिटेन के लिए एक नई सुबह’ लिखा है. अखबार ने सब हेड में लिखा है, ’’ऋषि सुनक एशियाई विरासत के साथ हमारे सबसे युवा आधुनिक पीएम बने.’ इसी तरह के ’द सन’ अखबार ने लिखा है, “सत्ता आपके साथ है, ऋषि“. 


"हमारे नए (अनिर्वाचित) पीएम, आपको वोट किसने दिया?"
हालांकि, सभी मीडिया संस्थान सुनक के यूके के नए प्रधान मंत्री बनने से खुश नहीं हैं. सुनक पर तीखा हमला करते हुए, ’द मिरर’ ने अपने बैनर हेडलाइन में लिखा है, ’’हमारे नए (अनिर्वाचित) पीएम, आपको वोट किसने दिया?“ अखबार ने सुनक को ब्रिटेन के राजा से दोगुना अमीर बताते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि वह अब सार्वजनिक खर्च में क्रूर कटौती की वकालत करेंगे.’’ 
स्कॉटलैंड से प्रकाशित ’डेली रिकॉर्ड’ अखबार ने सुनक की और भी अधिक आलोचना करते हुए उनकी जीत को ’डेथ ऑफ डेमोक्रेसी’ यानी लोकतंत्र की मौत बताया है. इस बीच, द फाइनेंशियल टाइम्स ने उन आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया, जो पूर्व निवेश बैंकर से राजनेता बने सुनक के सामने समस्या बनकर खड़ी हैं. अखबार ने टोरी सांसदों के हवाले से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुनक बाजारों को आश्वस्त करेंगे और उधार लागत को कम करने में मदद करेंगे.
’द टाइम्स’ ने टोरीज़ को सुनक की चेतावनी पर प्रकाश डाला है कि दरारों को भरने में विफलता पार्टी को ’खत्म’ कर देगी.’’ ’द टेलीग्राफ’ ने कहा, “पीएम का लक्ष्य आर्थिक संकट को खत्म करने के लिए युद्धरत गुटों को एक साथ लाना है.“ सुनक 5 सितंबर को साथी कंजर्वेटिव नेता लिज़ ट्रस से प्रधान मंत्री पद की दौड़ हार गए थे. ट्रस ने अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर अपने मंत्रिमंडल में विद्रोह के बाद 45 दिनों के कार्यालय में पिछले गुरुवार को पद छोड़ दिया था. 


सुनक क्या है भारतीय, पाकिस्तानी या ब्रिटिश ? 
विरासत से सुनक एक भारतीय के साथ-साथ पाकिस्तानी भी हैं, लेकिन वह हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं. उनके दादा रामदास सुनक ने 1935 में नैरोबी में एक क्लर्क की नौकरी करने के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला से पलायन कर दक्षिण अफ्रीकी देश चले गए थे. उनकी पत्नी सुहाग रानी सुनक 1937 में अपनी सास के साथ अपने पति के पास केन्या गई थी. रामदास और सुहाग रानी के छह बच्चे, तीन बेटे और तीन बेटियां थीं. ऋषि सुनक के पिता यशवीर सुनक का जन्म 1949 में नैरोबी में हुआ था. वह 1966 में ब्रिटेन के लिवरपूल पहुंचे और यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल में मेडिसिन की पढ़ाई की. यशवीर ने 1977 में लीसेस्टर में ऊषा से शादी की थी. ऋषि सुनक इंगलैंड के साउथेम्प्टन में पैदा हुए. उन्होंने इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की है, इस लिहाज से भारत का बेंगलुरु उनका ससुरल है. उनकी दो बेटियां हैं.


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