लाहौरः पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नवनियुक्त सरकार ने अपने पवित्र धर्म ग्रंथों को कंठस्थ करने पर अल्पसंख्यक समुदायों के कैदियों की सजा की मियाद कम करने का प्रस्ताव किया है. पंजाब प्रांत के गृह विभाग ने गुरुवार को मुख्यमंत्री चौधरी परवेज इलाही को प्रांत की जेलों में बंद ईसाई, हिंदू और सिख कैदियों के लिए सजा की मियाद में तीन से छह महीने की छूट के लिए एक ‘समरी’ भेजी है. 

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कैदियों को मिल सकती है तीन से छह महीने की छूट 
एक आला अफसर ने शुक्रवार को बताया कि पंजाब सरकार के गृह विभाग ने ईसाई और हिंदू कैदियों को उनके पवित्र ग्रंथों - बाइबल और भगवद् गीता - को कंठस्थ करने पर सजा की मियाद में तीन से छह महीने की छूट का प्रस्ताव देने के लिए मुख्यमंत्री को एक ‘सारांश’ भेजा है. पंजाब की जेल सेवा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, पवित्र कुरान को याद करने वाले मुस्लिम कैदियों को सजा की मियाद में छह महीने से दो साल तक की छूट मिल सकती है. अफसर ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद सारांश को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद गृह विभाग हिंदू और ईसाई कैदियों की सजा की मियाद में कमी संबंधी अधिसूचना जारी करेगा.


ईसाई याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में की थी अपील 
मंत्री ने कहा कि इस कदम से अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कैदी अपने पवित्र धर्म ग्रंथों का मुताला करने के लिए प्रेरित होंगे. मार्च में, लाहौर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से अल्पसंख्यक कैदियों को सजा में छूट दिए जाने के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी. एक ईसाई याचिकाकर्ता ने पाकिस्तान जेल नियम 1978 के नियम 215 के तहत मुसलमानों को दी जाने वाली छूट का हवाला देते हुए अन्य धर्मों के कैदियों के लिए भी इसी तरह की छूट के प्रावधान बनाने की अर्जी दाखिल की थी. आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में पंजाब प्रांत की 34 जेलों में ईसाई, हिंदू और सिख सहित 1,188 अल्पसंख्यक कैदी हैं.
 


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