न्यूयॉर्कः अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल की मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर पिछले साल हुए हमले के बाद पहली बार इंटरव्यू दिया है. उस हमले में उनकी दाहिनी आंख की रोशनी चली गई थी. सलमान रुश्दी ने कहा है कि  उन्हें अब लिखने में परेशानी होती है और उन्हें डरावने सपने आते हैं. रुश्दी ने न्यू यॉर्कर में सोमवार को प्रकाशित इंटरव्यू में कहा, ‘‘अब मैं पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूं, लेकिन जो मेरे साथ हुआ, उस पर गौर करते हुए मुझे लगता है कि मैं इतना बुरा भी नहीं हूं." लेखक ने डेविड रेमनिक को दिए  इंटरव्यू में कहा, "जिस्म पर लगी बड़ी चोटें ठीक हो गई हैं. मुझे अपने अंगूठे, हथेली वगैरह में दर्द महसूस होता रहता है. मैं बहुत सारी हैंड थेरेपी कर रहा हूं, और मैं ठीक हो रहा हूं."  

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बोलते वक्त होंट में पड़ जाते हैं बल 
रेमनिक ने लिखा है कि बुकर पुरस्कार विजेता रुश्दी का वजन 18 किलोग्राम से ज्यादा कम हो गया है और वह ज्यादातर आईपैड से पढ़ते हैं ताकि वह प्रकाश और फ़ॉन्ट आकार को अपने हिसाब से घटा-बढ़ा सकें. रेमनिक के मुताबिक, लेखक के चेहरे के दाहिनी तरफ निशान हैं, लेकिन वह हमेशा की तरह धाराप्रवाह बोल रहे हैं. हालांकि इस क्रम में उनका निचला होंठ अब बोलते वक्त एक तरफ झुक जाता है.

हमलावर को माफ कर चुके हैं रुश्दी 
अपने इस इंटरवूय के दौरान, रुश्दी ने मतार को मूर्ख आदमी बताया, हालांकि उन्होंने कहा कि मतार को लेकर कोई गुस्सा और नाराजगी नहीं है. उन्होंने कहा, “मैंने पिछले कई सालों में आरोप-प्रत्यारोप और कटुता से बचने की बहुत कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इस पूरे मामले से निपटने का एक तरीका यह है कि मैं आगे की तरफ देखूं न कि पीछे की तरफ, कल क्या हुआ- की तुलना में कल क्या होगा, वह ज्यादा जरूरी है.’’ यह इंटरव्यू रुश्दी के नए उपन्यास 'विक्ट्री सिटी’ के प्रकाशन के ठीक पहले आया है. उन्होंने इस उपन्यास को अपने हमले से एक महीने पहले पूरा किया था.  

'द सैटेनिक वर्सेज’ के लिए ईरान ने रखा था सिर कलम करने का इनाम 
गौरतलब है कि मुंबई में जन्मे रुश्दी (75) के उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद ईरान के अयातुल्ला खामनेई ने 1989 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था. इस वजह से रुश्दी ने कई साल छिपकर गुजारे हैं. हालांकि पिछले कुछ समय से वह सामान्य जीवन जी रहे थे. लेकिन पिछले साल पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में एक प्रोग्राम के दौरान मंच पर हादी मतार नामक युवक ने उन पर हमला किया था. हादी रुश्दी से उनके इस्लाम के खिलाफ लिखने से नाराज था. रुश्दी ने 25 से ज्यादा किताबें लिखी हैं और उन्हें दुनियाभर के प्रतिष्ठित अवार्ड मिल चुके हैं, लेकिन उनकी लिखी दो किताबों को इस्लाम विरोधी बताकर कट्टरपंथी उनका विरोध करते हैं.  


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