Pakistan Economy: नज़र आई पाकिस्तान की बेबसी; IMF की एक और मांग के सामने टेके घुटने
Economic Crisis in Pakistan: पाकिस्तान की आर्थिक हालत किसी से छिपी नहीं है. पूरी तरह क़र्ज़ के बोझ तले डूब चुके पाकिस्तान को कुछ नहीं सूझ रहा है. आर्थिक संकट से उभरने की वो लाख कोशिश कर रहा है, मगर उसे कामयाबी नहीं मिल रही है.
Pakistan IMF Loan: पाकिस्तान की आर्थिक हालत किसी से छिपी नहीं है. पूरी तरह क़र्ज़ के बोझ तले डूब चुके पाकिस्तान को कुछ नहीं सूझ रहा है.आर्थिक संकट से उभरने की वो बहुत कोशिश कर रहा है, मगर कामयाब नहीं हो रहा है. पाक को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से काफ़ी उम्मीद थी कि वो सकी नैया को पार लगा सकता है मगर अब उसकी नो उम्मीद भी ख़त्म हो चुकी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की तरफ से जो शर्तें रखी गई हैं उस पर सरकार और जानकारों के मुताबिक़ आईएमएफ़ को अपना रुख़ लचीला करने की ज़रूरत है ताकि पाकिस्तान को क़र्ज़ से कुछ राहत नसीब हो.
IMF की मांग को किया मंज़ूर
पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि उसे आईएमएफ की एक और मांग के सामने घुटने टेकने पड़े, दरअसल देश की गिरती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने को लेकर ऋण कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के लिए बेताब, पाकिस्तान ने अगले माली साल में उपभोक्ताओं पर पावर सरचार्ज लगाने की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मांग को मंज़ूर कर लिया है. जियो न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़, आईएमएफ के 'शिफ्टिंग गोलपोस्ट' से पाकिस्तानी अधिकारियों को हैरानी हैं ,क्योंकि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को लुभाने के लिए काफ़ी कोशिश कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष बदल रहा है शर्ते
वित्त मंत्री इस्हाक़ डार की सदारत में हुई आर्थिक समन्वय समिति (ECC) ने आईएमएफ की एक और मांग को मंज़ूर करते हुए मार्च से जून 2023 तक 3.82 पीकेआर फी यूनिट तक बिजली अधिभार लगाने को मंजूरी दे दी है. रुके हुए क़र्ज़ को पुनर्जीवित करने के लिए आईएमएफ द्वारा लगाई गई एक और मुश्किल शर्त को लागू करने के लिए अगले माली साल 2023-24 में बिजली उपभोक्ताओं से औसतन 2.63 रुपये फी यूनिट का बिजली अधिभार वसूला जाता रहेगा. वहीं इस पूरे मामले पर अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष पर इल्ज़ाम लगाते हुए कहा कि वो लगातार अपनी शर्तों को बदल रहा है, जिससे देश को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
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