PAK में मलाला के स्वदेश लौटने पर विरोध; स्कूलों में मनाया गया ‘आई एम नॉट मलाला डे’
Pakistan screens anti Malala documentary: 17 साल की उम्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली मलाला युसूफजई (Malala Yousafzai) को अपने बयानों को लेकर अपने ही देश में विरोध का सामना करना पड़ रहा है. वह लगभग चार साल बाद पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने स्वदेश पहुंची हैं.
लाहौरः पाकिस्तान में दो करोड़ छात्रों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले एक निजी विद्यालय संघ ने इस्लाम और विवाह पर मलाला युसूफजई (Malala Yousafzai) के विवादास्पद विचारों के विरोध में बुधवार को अपने स्कूलों में ‘आई एम नॉट मलाला डे’ (I am not Malala Day) का आयोजन किया. नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित (Nobel Prize laureate) मलाला भीषण बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने और बाढ़ प्रभावितों से मिलने के लिए मंगलवार को पाकिस्तान पहुंचीं हैं. वह चार साल से भी ज्यादा अरसे बाद अपने देश लौटी हैं.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में भीषण बाढ़ की वजह से 1700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, जबकि 3.3 करोड़ लोग विस्थापित हो गए हैं, और देश का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो गया है.
पश्चिमी एजेंडे को बेनकाब करने के लिए व्याख्यान का आयोजन
मलाला के पाकिस्तान अगामन पर ‘ऑल पाकिस्तान प्राइवेट स्कूल्स फेडरेशन’ (एपीपीएसएफ) ने ‘आई एम नॉट मलाला-2’ वृत्तचित्र के प्रदर्शन का आयोजन किया था. यह संगठन देश में दो करोड़ छात्रों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करत रहा है. संगठन इसके तहत पाकिस्तान के निजी स्कूलों उनके (मलाला के) तथाकथित ‘ पश्चिमी एजेंडे’ को बेनकाब करने के लिए व्याख्यान और संगोष्ठियां का आयोजन करते हैं. ‘‘आई एम नॉट मलाला डे’ कार्यक्रम के नाम का संदर्भ युसूफजई की आत्मकथा ‘आई एम मलाला’ से लिया गया है.
मलाला ने विवाह को लेकर दिया था विवादित बयान
‘एपीपीएसएफ’ के अध्यक्ष कासिफ मिर्जा ने कहा, ‘‘इस डॉक्यमेंट्री में विवाह संस्था और परिवार के ढांचे पर मलाला के प्रहार को प्रमुखता से दिखाया गया है.’’ नवंबर, 2021 में युसूफजई ने बर्मिंघम में एक निजी समारोह में अस्सेर मलिक से शादी के बंधन में बंध गई थी. मिर्जा ने कहा कि इन व्याख्यानों और संगोष्ठियों के माध्यम से फेडरेशन ने 2,00,000 विद्यालयों में 15 लाख अध्यापकों के जरिए 2.6 करोड़ विद्यार्थियों को शादी पर मलाला के विवादास्पद विचारों के बारे में जानकारी दी है.
पाकिस्तानी सेना को बताया था ‘आतंकवादी’
मलाला युसूफजई द्वारा अपनी पुस्तक में पाकिस्तानी सेना को ‘आतंकवादी’ घोषित करने के बारे में मिर्जा ने कहा, ‘‘12 अक्टूबर काला दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और फेडरेशन से संबद्ध निजी विद्यालयों में सभी अध्यापक इस्लामिक पद्धतियों के बारे में मलाला के विवादास्पद विचारों पर उनकी निंदा करते हुए अपनी बांह पर काली पट्टियां पहनते हैं.’’
17 साल की उम्र में मिला था नोबेल पुरस्कार
मलाला युसूफजई (25) पिछली बार मार्च, 2018 में पाकिस्तान आई थीं. इस बुधवार को मलाला ने सिंध प्रांत में बाढ़ प्रभावित दादू जिले में का दौरा किया है. अक्टूबर 2012 में स्वात जिले में तालिबान के हमले से बचने के बाद से यह उनकी दूसरी पाकिस्तान यात्रा है. हमले में घायल होने के बाद उन्हें ब्रिटेन के बर्मिंघम के एक विशेष अस्पताल में ले जाया गया था. ठीक होने के बाद यूसुफजई ने घोषणा की कि वह लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक आंदोलन शुरू करेंगी. दिसंबर 2014 में यूसुफजई 17 साल की उम्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली सबसे कम उम्र की विजेता बन गई थीं.
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