Qavi Khan Passes Away: पाकिस्तान के जाने माने एक्टर कवी खान ने 90 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. वह अपने आखिरी दिनों में कैनडा में थे. वह लंबी बीमारी से जूझ रहे थे. खान ने अपना फिल्मी करियर 1964 में शुरू किया था. उन्हें 'लाखों में तीन', 'अंधेरा उजाला' में बेहतरीन काम करने के लिए जाना जाता है.


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पेशावर से ताल्लुक रखने वाले खान का पाकिस्तान नेशनल काउंसिल ऑफ आर्ट्स (PNCA) में ग़ालिब के रूप में प्रदर्शन बहुत मशहूर है. उन्होंने PTV नाटक 'कोई ना अड्डा संज मिला' में भी बहुत बेहतरीन अदाकारी की. टेलीविजन और रंगमंच के अलावा उन्होंने लगातार फिल्मों और रेडियो में भी अपनी कलात्मक क्षमता का प्रदर्शन किया.


कवी ने अपने करियर की शुरुआत कम उम्र में रेडियो पाकिस्तान पेशावर से की थी. वहां से उन्होंने टेलीविजन में स्टारडम हासिल किया और पाकिस्तान आ गए. 1964 में पीटीवी और लॉलीवुड फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत करते हुए, वह उन कुछ अभिनेताओं में से एक थे, जिन्होंने फिल्म उद्योग की गिरावट को करीब से देखा.


उन्होंने 1968 में शादी की और उनके चार बच्चे थे - जिनमें से सभी ने उनके नक्शेकदम पर चलने के बजाय विदेश में बसने का फैसला किया. उन्होंने दुनिया की यात्रा की लेकिन खुद को अपने देश से बंधा हुआ पाया.


कवी ने अनगिनत नाटकों में अभिनय किया, जिनमें अंधेरा उजाला, फिशर, लाहौर गेट, मुट्ठी भर मिट्टी, बेटियाँ, सिंड्रेला और दुरे शाहवर शामिल हैं. उन्होंने मुहब्बत जिंदगी है, चांद सूरज, सरफरोश, कलाय चोर, जमीन आसमान और परी जैसी फिल्मों के साथ पाकिस्तानी फिल्मों में भी अपने लिए एक खास जगह बनाई.


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