मुजफ्फरगढ़: पारा टीचर्स के साथ ने सिर्फ भारत में भेदभाव किया जाता है बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी संविदा शिक्षकों की हालत दैनीय है. खासकर जब टीचर्स महिला हो तो हालात और भी बदतर हो जाते हैं. पाकिस्तान में पंजाब साक्षरता विभाग की 650 महिला शिक्षकों को पिछले दो वर्षों से वेतन नहीं मिला  है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के बेसिक एजुकेशन कम्युनिटी स्कूल (BECS) और राष्ट्रीय मानव विकास आयोग (NCHD) स्कूलों की 600 से ज्यादा  महिला शिक्षकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें पिछले दो वर्षों से उनके वेतन से वंचित किया गया है. पंजाब में शिक्षकों ने कहा कि उन्हें सरकार की उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें अपने परिवार को चलाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. 


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9,000 रुपये प्रति माह वेतन पर्याप्त नहीं 
अज़रा बीबी ने कहा कि वह जिस स्कूल में काम करती हैं, पिछले  दो साल से उन्हें एक पैसा भी नहीं दिया गया.  एक दुकान से उन्होंने किराने का सामान उधार लिया था लेकिन आज भी उसका कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं.  वह वित्तीय संकट के कारण अपने ज़रूरी बिलों का भुगतान करने के लिए भी संघर्ष कर रही हैं.  उन्होंने कहा कि पिछले साल कई शिक्षक विरोध -प्रदर्शन के लिए लाहौर और इस्लामाबाद गए थे, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने उन्हें खाली वादों के साथ लौटा दिया. उन्होंने कहा कि महंगाई के दौर में 9,000 रुपये प्रति माह वेतन पर्याप्त नहीं हैं, और  यह इस पेशे का मजाक है. शमीम बीबी ने कहा कि वह स्नातक हैं और उन्होंने काम करने के लिए अपने माता-पिता से इसकी इज़ाज़त ली है,लेकिन दो साल बाद भी उन्हें वेतन नहीं मिला. 

7,000 से अधिक महिला शिक्षक 
पंजाब सरकार ने 2021-2022 में ऐसे स्कूलों के लिए 1.613 अरब रुपये का आवंटन किया था, लेकिन इस राशि का उपयोग नहीं किया गया है, जिससे शिक्षकों को परेशानी हो रही है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षकों का आरोप है कि सचिव साक्षरता वजीहुद्दीन कुंडी ने उनकी मदद नहीं की.  एक साक्षरता अधिकारी ने कहा कि पूरे पंजाब में इन स्कूलों में 7,000 से अधिक महिलाएँ पढ़ा रही हैं और उच्च अधिकारियों ने उनकी उपस्थिति की जाँच के बाद उन्हें वेतन का भुगतान करने को मंजूरी दी थी; लेकिन अभी तक उन्हें वेतन नहीं दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट से मामले में दखल देने की मांग 
एक सूत्र ने कहा कि काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट (CCI) ने 2020 में संघीय सरकार द्वारा चलाए जा रहे BECS और NCHD स्कूलों को प्रांतीय सरकार को सौंप दिया था, लेकिन तब से शिक्षक वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहे हैं. शिक्षकों ने मुख्यमंत्री परवेज इलाही से अनुरोध किया है कि वे वेतन वृद्धि के साथ जारी करें और अपनी नौकरियों को नियमित करें ताकि वे अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें.  सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से भी टीचर्स की दुर्दशा पर ध्यान देने की भी अपील की गयी है. 


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