ढाकाः बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने सोमवार को कहा है कि उनके देश में शिविरों में 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Refugees) का लंबे अरसे तक रहना, सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है.
शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के 24 देशों के सैन्य अफसरों की तीन दिवसीय बैठक के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Refugees) के लंबे अरसे तक रहने से उनके अपने कष्टों के अलावा बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, सुरक्षा और सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर असर पड़ रहा है.’’ 

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कई देशों के सैन्य अधिकारी जाएंगे कॉक्स बाजार 
बांग्लादेश इस मंच का उपयोग म्यांमार में हिंसा के चलते भागे रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को उजागर करने के लिए कर रहा है. बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल एस एम शफीउद्दीन अहमद ने कहा कि बैठक में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागी रोहिंग्या शरणार्थी कैंपों का दौरा करेंगे, जिसमें अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंडोनेशिया, भारत, चीन और वियतनाम के प्रतिभागी शामिल हैं. अहमद ने कहा कि अधिकारियों को कॉक्स बाजार जिले के कैंपों में ले जाया जा रहा है, ताकि उन्हें शरणार्थी संकट की गंभीरता और यह स्पष्ट रूप से समझाया जा सके कि उन्हें म्यांमार वापस भेजना क्यों जरूरी है ? 


वापस भेजना ही इस संकट का एकमात्र हलः हसीना 
हसीना ने कहा कि शरणार्थियों को वापस भेजना ही इस संकट का एकमात्र हल है, लेकिन बांग्लादेश उन्हें म्यांमार वापस जाने के लिए बाध्य नहीं करेगा. मुस्लिम रोहिंग्या ने कहा है कि बौद्ध बहुल म्यांमार में हालात अब भी बहुत खतरनाक हैं, जहां उन्हें व्यापक भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है. वहीं, पिछले महीने, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका रोहिंग्या और म्यांमार के सभी लोगों के लिए ‘इंसाफ और जवाबदेही को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध’ है. गौरतलब है कि रोहिंग्या संकट का मामला अंतरराष्ट्रीय अदालतों में चला गया है, जहां म्यांमार ने सारे इल्जामों से इनकार किया है.


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