Muslim bodies forcibly cremated in Sri lanka: कोविड महामारी के दौरान दुनियाभर के लोगों को तरह- तरह की दिक्कतें उठानी पड़ी थी. कई मामलों में लोगों को अपने धर्म और प्रथाओं की प्रैक्टिस करने से भी वंचित होना पड़ा था. ऐसे ही एक मामले में श्रीलंका में कोविड महामारी के दौरान कोविड से मरने वाले मुसलमानों की लाशों को दफनाने के बजाए उसका दाह- संस्कार कर दिया गया था. महामारी का हवाला देकर सरकार ने 276 मुस्लिमों के शवों को जला दिया था. उस वक़्त सरकार की इस नीति का भारी विरोध किया गया था, लेकिन इस मामले के लगभग 4 साल बीत जाने के बाद श्रीलंका सरकार ने अपने इस काम के लिए देश के मुसलमानों से माफ़ी मांगने का प्रस्ताव पास किया है. 


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श्रीलंका सरकार के इस फैसले से उस वक़्त मुसलमानों सहित कई दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को उनके धार्मिक अधिकारों से महरूम होना पड़ा था. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने के बाद फरवरी 2021 में ही सरकार ने इस आदेश को रद्द कर दिया था.  श्रीलंका सरकार के मंत्रिमंडल ने सोमवार को एक बैठक में मार्च 2020 में थोपे गए उस आदेश के लिए मुस्लिम समुदाय से माफी मांगने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. मंत्रिमंडल ने ऐसे विवादास्पद आदेशों से बचने के लिए कानून लाने का भी फैसला लिया है.  अब इस मामले में जो भी कानून बनाया जाएगा उसमे मृत व्यक्ति के परिजनों को उसके शव को दफनाने या उसका दाह संस्कार के चयन की इज़ाज़त देगा. 


क्यों दिया था लाश को जलाने का आदेश
गौरतलब है कि फरवरी 2021 में इस विवादित आदेश के रद्द किये जाने से पहले श्रीलंका में 276 मुस्लिमों की लाशों को दफनाने के बजाए जला दिया गया था. सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देकर मुस्लिम की लाशों को दफनाने की इज़ाज़त देने से मना कर दिया था.विशेषज्ञों ने दावा किया था कि कोविड-19 पीड़ितों को दफनाने से प्राकृतिक जल स्रोत प्रदूषित हो जाएगा और इससे महामारी को और फैलने में मदद मिलेगी. वहीँ, इस्लाम धर्म में मरने के बाद शवों को जलाने के बजाए दफनाने का आदेश है.