सऊदी अरब और तुर्की के संबंधों के बीच जमीं बर्फ पिघल रही है; इस्तांबुल की यात्रा पर सलमान
तुर्की ने संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और इज़राइल से भी रिश्ते सुधारने के लिए कदम उठाए हैं. वहीं, सऊदी अरब ऐसे वक्त में अपने गठबंधन को विस्तार देना चाहता है, जब रियाद और वाशिंगटन के बीच रिश्तों में तनाव है.
अंकाराः सऊदी अरब और तुर्की के बीच ऑटोमन साम्राज्य से चली आ रही दुश्मनी और हाल के वर्षों की कुछ घटनाओं के बाद दोनों देशों के संबंधों में जमीं बर्फ अब पिघलती नजर आ रही है. सऊदी अरब के राजकुमार और वर्तमान शासक मोहम्मद बिन सलमान बुधवार को अंकारा पहुंचे हैं. वह पहली बार तुर्की की यात्रा पर आए हैं. सलमान पश्चिम एशिया की अपनी यात्रा के आखिरी चरण में तुर्की पहुंचे हैं, जहां वह राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से मुलाकात करेंगे. वह मिस्र और जॉर्डन भी गए थे. इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति इस साल अप्रैल में सऊदी अरब गए थे. यह 2017 के बाद उनकी अरब देश की पहली यात्रा थी.
वहीं, अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन भी इस क्षेत्र की यात्रा पर आने वाले हैं. यानी खाड़ी देशों की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होता दिख रहा है. इसकी शुरूआत खाड़ी के कुछ देशों का इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल करने के साथ ही शुरू हो गई थी
क्या है इस यात्रा का मकसद ?
इस यात्रा का मकसद इस्तांबुल में सऊदी स्तंभकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद क्षेत्र के दो ताकतवर मुल्कों के रिश्तों में आई खटास को दूर करने का है. उल्लेखनीय है कि साल 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में खशोगी की बर्बर हत्या की घटना हुई थी. सऊदी शासक खशोगी हत्याकांड के विवाद को खत्म करना चाहेंगे जिससे उनकी प्रतिष्ठिता धूमिल हुई है. तुर्की ने खशोगी की हत्या के शक में 26 सऊदी एजेंट के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था. लेकिन इस साल के शुरू में अदालत ने कार्यवाही पर रोक लगा दी और मुकदमे को सऊदी अरब स्थानांतरित कर दिया.
एर्दोआन भी चाहते हैं संबंधों में सुधार
एर्दोआन ने कहा कि सऊदी युवराज के साथ बातचीत तुर्की और सऊदी अरब रिश्तों को और ज्यादा ऊंचाइयों पर ले जाने पर केंद्रित होगी. तुर्की सऊदी अरब से अपने संबंध सुधारना चाहता है, क्योंकि कि वह पिछले दो दशकों में सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और समृद्ध खाड़ी अरब देशों से निवेश हासिल करने की कोशिश में है. तुर्की ने संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और इज़राइल से भी रिश्ते सुधारने के लिए कदम उठाए हैं. वहीं, सऊदी अरब ऐसे वक्त में अपने गठबंधन को विस्तार देना चाहता है, जब रियाद और वाशिंगटन के बीच रिश्तों में तनाव है.
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