उदयपुर हत्याकांडः पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी संगठन का आया बयान; आरोपों पर कहीं ये बात
संगठन ने कहा कि हम विशुद्ध रूप से शैक्षिक, धर्म प्रचारक और परोपकारी संस्थान हैं और विश्व स्तर पर जीवन में शांति का प्रचार करते हैं. दावत-ए-इस्लामी कभी भी किसी हिंसा या हिंसक कृत्य से नहीं जुड़ा है.
कराची/लाहौरः भारत के उदयपुर में एक टेलर मास्टर की निर्मम हत्या के बाद से चर्चा में आए पाकिस्तान के सबसे बड़े सुन्नी-बरेलवी मुस्लिम संगठनों में से एक दावत-ए-इस्लामी ने किसी भी प्रकार के आंतकवाद के साथ अपने संबंधों को खारिज किया है. संगठन ने दावा किया है कि वह विशुद्ध रूप से एक शैक्षिक, धर्म प्रचारक और परोपकारी संगठन है जो अमन और शांति का प्रचार करता है. कराची में स्थित मुख्यालय वाला यह संगठन उस वक्त सुर्खियों में आ गया था जब यह तथ्य सामने आया कि राजस्थान के उदयपुर में हत्याकांड में शामिल दो लोगों में से एक दावत-ए-इस्लामी से प्रभावित था और 2014 में उसने कराची की यात्रा की थी.
रियाज अख्तरी और गौस मोहम्मद ने मंगलवार को उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या कर दी थी और ऑनलाइन वीडियो पोस्ट करते हुए कहा था कि वे इस्लाम के अपमान का बदला ले रहे हैं.
हम बिल्कुल गैर सियासी संगठन हैं
कराची के गुलशन-ए-इकबाल इलाके में दावत-ए-इस्लामी के मुख्यालय (फैजान-ए-मदीना) के एक सीनियर मौलाना महमूद कादरी ने आतंकवाद के किसी भी गतिविधि से अपने संगठन के संबंधों को खारिज कर दिया है. महमूद ने कहा कि दावत-ए-इस्लामी का दहशतगर्दी से कोई लेना-देना नहीं है. हम विशुद्ध रूप से शैक्षिक, धर्म प्रचारक और परोपकारी संस्थान हैं और विश्व स्तर पर जीवन में शांति का प्रचार करते हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया भर से हजारों छात्र इस्लाम के अध्ययन के लिए संगठन के मुख्यालय का दौरा करते हैं, जहां चरमपंथ या कट्टरवाद का प्रचार प्रसार नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘हम बिल्कुल गैर सियासी संगठन हैं.
दावत-ए-इस्लामी किसी हिंसा या हिंसक कृत्य से नहीं जुड़ा है
महमूद ने कहा कि दावत-ए-इस्लामी की दुनिया भर में शाखाएं हैं, संगठन एक टेलीविजन चैनल- मदनी चैनल भी संचालित करता है और समूह के सभी विवरणों के साथ एक वेबसाइट भी है. उन्होंने कहा कि 1981 में दावत-ए-इस्लामी की स्थापना के बाद से, ऐसी एक भी मामला नहीं हुआ है जिसमें हमारे किसी छात्र, अनुयायी या शिक्षक का नाम लिया गया हो या किसी हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा हो. महमूद ने भारतीय मीडिया में आई खबरों पर हैरत जताते हुए कहा कि संगठन की शिक्षा किसी छात्र को किसी की जान लेने के लिए प्रेरित नहीं करती. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अन्य धार्मिक संगठनों के विपरीत दावत-ए-इस्लामी कभी भी किसी हिंसा या हिंसक कृत्य से नहीं जुड़ा है.
हमेशा एक-दूसरे के मजहबों का सम्मान करना चाहिए
महमूद ने कहा कि इंसान को हमेशा एक-दूसरे का और एक-दूसरे के मजहबों का भी सम्मान करना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुअत्तल एक नेता के बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देखिए कोई भी मुसलमान, चाहे वह किसी भी मत का हो, पैगंबर मोहम्मद के बारे में किसी भी ईशनिंदा वाले बयान को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. जो हुआ वह बुरा था और इससे हर मुसलमान को दर्द हुआ, चाहे वह कहीं भी रहा हो.’’ महमूद ने कहा कि संगठन के दर्शन को समझने के लिए किसी को भी उनके नेता मौलाना मुहम्मद इलियास अत्तर कादरी के उपदेशों को सुनना होगा. उन्होंने कहा कि संगठन का लक्ष्य चरित्र निर्माण और धर्मार्थ कार्य के माध्यम से खुद को और दुनिया को सुधारना है.
कट्टरपंथ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है
दावत-ए-इस्लामी के लाहौर के नेता अली अहमद मलिक अटारी ने कहा, ‘‘हमारा संगठन पूरी तरह से अहिंसक रास्ते पर चलता है. यहां और विदेशों में आयोजित हमारी किसी भी धार्मिक सभा को देखें, आप पाएंगे कि हमारे नेता हमेशा शांति का संदेश देते हैं.’’ रावलपिंडी में दावत-ए-इस्लामी के उच्च शिक्षा संस्थान से जुड़े अर्सलान कादरी ने कहा कि संगठन का कोई भी छात्र किसी भी हिंसक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है. कादरी ने कहा, ‘‘धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ हमारे संगठन में कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है. हिंसा को बढ़ावा देने वालों को बाहर कर दिया जाता है.’’
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