दोहाः अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर कतर के दोहा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित सम्मेलन से तालिबान सरकार को बाहर रखा गया है. इस बैठक में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के साथ-साथ प्रमुख यूरोपीय सहायता संगठनों और पाकिस्तान जैसे प्रमुख लगभग 25 देशों के दूत और समूहों के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हो रहे हैं. इन सभी को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो द्वारा बंद दरवाजे के अंदर दो दिवसीय वार्ता के लिए बुलाया गया है. सोमवार को कतर की राजधानी में गुटेरेस ने इसकी जानकारी दी थी. 
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा था कि देश में गंभीर मानवीय संकट और इसके अंतरराष्ट्रीय अलगाव पर चर्चा करने के लिए अफगान शासकों को बैठक में नहीं बुलाया जाएगा. इस एजेंडे में तालिबान का कोई नाम नहीं था. अल जज़ीरा ने संयुक्त राष्ट्र के एक स्रोत के हवाले से ऐसी खबर चलाया था. 


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इस बैठक के पहले दिन शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंध सहित महिलाओं पर बढ़ते प्रतिबंधों के लिए तालिबान सरकार की आलोचना की गई है. दोहा समझौते के नतीजे में 20 साल के कब्जे के बाद अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी और नैटो सेना की वापसी हुई, जिससे पश्चिम समर्थित अफगानिस्तान सरकार का खात्मा हो गया था. 
अमेरिकी समर्थित सरकार के अफगानिस्तान से जाने के बाद तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर सैन्य अधिग्रहण के बाद उसपर दोहा समझौते का उल्लंघन करने का इल्जाम लगाया गया था. दोहा बैठक से पहले, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के ऑफिस ने कहा कि मंच का मकसद महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों, समावेशी शासन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करने पर तालिबान के साथ कैसे जुड़ना है, इस पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अंदर एक आम समझ हासिल करना है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गुरुवार को अफगानिस्तान में महिलाओं पर तालिबान सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की थी. संयुक्त राष्ट्र, लाखों अफगानों को खाद्य सहायता प्रदान करता है. अल जज़ीरा ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के उप प्रमुख ने महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा पर समूह को दबाने के लिए तालिबान नेताओं से मिलने के लिए जनवरी में काबुल की यात्रा की थी. दोहा बैठक अफगानिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी के लिए महत्वपूर्ण है. अब यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब अफगान महिलाओं को वैश्विक एजेंसी के साथ काम करने से रोके जाने के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र द्वारा अफगानिस्तान में अपने महत्वपूर्ण राहत अभियान की समीक्षा करने की उम्मीद है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में अपने विशाल मुहिम को बनाए रखना है या नहीं, इस पर उसे एक 'कठोर विकल्प' का सामना करना पड़ रहा है. शुक्रवार को समीक्षा पूरी होने की उम्मीद की जा रही है. 


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