UN Security Council meets: इजरायल की तरफ से गाजा में की जा रही बमबारी में 3200 बच्चे मारे गए हैं. इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों में चिंता है. ऐसे में इजराइल के ग्राउंड ऑपरेशन शुरू करने के बाद UAE और चाइना की ओर से मीटिंग बुलाई गई. इमरजेंसी मीटिंग में UNRWA कमिश्नर फिलिप लाज़रिनि ने बताया कि ग़ाज़ा में मारे गए लोगों में 70 प्रतिशत बच्चे और औरतें हैं. गाज़ा की 20 लाख की आबादी में से आधी संख्या बच्चों की है. सेव द चिल्ड्रेन के मुताबिक गाज़ा में तीन हफ्तों के दौरान 3200 बच्चे मारे गए हैं. ये आँकड़ा 2019 के बाद से प्रतिवर्ष कॉन्फ्लिक्ट ज़ोन में मारे गए बच्चों की नंबर्स से भी ज़्यादा है. जैसे-जैसे इजराइली सेना अपने ऑपरेशन को आगले फेज में ले जा रही वैसे-वैसे जंग में मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.


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कम्यूनिकेशन ब्लैक-आउट से बढ़ी मुश्किलें 
गाज़ा में इजराइल द्वारा इंटरनेट और फोन सेवा को बंद कर दिया गया है. जिसकी वजह से और ज्यादा अराजकता फैल गई है. घायलों के लिए एंबुलेंस बुलाने से लेकर पत्रकारों के लिए जंग की कवरेज करना मुश्किल हो गया है. कम्यूनिकेशन ब्लैक-आउट की वजह से गाज़ा में किसी भी तरह की मदद पहुंचने में भी काफी दिक्कत आ रही है. UNRWA चीफ ने मीटिंग में कहा है की गाज़ा में कोई जगह सेफ नहीं बची है.


67000 लोग कैम्प में रहने के लिए मजबूर 
कमिश्नर फिलिप लाज़रिनि ने जानकारी दी कि करीब 670000 लोग UNRWA कैम्प में रह रहे हैं. UNRWA के 64 कर्मी अब तक गाज़ा में मारे जा चुके हैं. इतने कम वक्त में किसी एक घटना में मारे गए UN सहायता कर्मियों की ये सबसे बड़ी संख्या है. UN की मीटिंग में इस बात पर जोर दिया गया कि गाज़ा में मानवीय सहायता बढ़ाने की फौरन ज़रूरत है. 7 अक्टूबर से शुरू लड़ाई के बाद 10 लाख लोग उत्तरी ग़ाज़ा से दक्षिण की तरफ विस्थापित हुए हैं. अभी तक सीजफाइर को लेकर सारी कोशिशे नकाम साबित हुई हैं. बता दे कि इस लड़ाई में अब तक करीब 10 हजार जाने जा चुकी हैं.