United Nations on Islamophobia: संयुक्त राष्ट्र ने एक खास प्रोग्राम के साथ इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया. जहां वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत, भेदभाव और हिंसा के खिलाफ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया. इस्लामोफोबिया के खिलाफ विश्व दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक उच्च स्तरीय प्रोग्राम आयोजित किया गया. इस मौके पर बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफ़ील्ड ने दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत के विनाशकारी परिणामों पर प्रकाश डाला और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह और हिंसा से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों में वृद्धि की बात कही. 


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लिंडा थॉमस ने लगभग चार साल पहले न्यूजीलैंड में दो मस्जिदों और एक चर्च में एक बंदूकधारी के ज़रिए किए गए हमले को याद किया, जिसमें उसने नमाजियों पर अंधाधुंध गोलीबारी करके 51 मुसलमानों का कत्ल कर दिया था और 40 को जख्मी कर दिया था. उन्होंने कहा कि यह भयावह घटना पूरे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हमला है और इस्लामोफोबिया के खतरनाक नतीजों का प्रतिबिंब है. उन्होंने कहा कि इस घटना के तीन साल बाद संयुक्त राष्ट्र ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया. उन्होंने कहा कि ऐसा करते हुए, संगठन सभी के लिए मानवाधिकारों और धर्म की अज़ादी को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और औपचारिक रूप से स्वीकार किया है कि मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.


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उन्होंने कहा कि पिछले साल संयुक्त राज्य अमेरिका ने तय किया था कि बर्मी सेना के सदस्यों ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ कत्लेआम और इंसानियत के खिलाफ जुर्म किए थे, जिनमें से कई मुस्लिम हैं. हमने यह भी तय किया कि चीनी सरकार ने शिनजियांग में मुख्य रूप से मुस्लिम उइगरों और अन्य जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ कत्लेआम और अपराध किए थे. लिंडा थॉमस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इन अत्याचारों की निंदा करनी चाहिए और जवाबदेही की मांग करनी चाहिए. साथ ही, हमें पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना या पीआरसी में अनुचित रूप से कैद सभी लोगों की रिहाई और पुनर्मिलन की मांग जारी रखनी चाहिए.


उन्होंने कहा कि जहां तक ​​अमेरिका का संबंध है, वह अपने देश और दुनिया भर में हर तरह की नफरत और असहिष्णुता को जड़ से खत्म करने के लिए कृतसंकल्प है. इस संदर्भ में, पिछले सितंबर में, राष्ट्रपति बिडेन ने कट्टरता और नस्लवाद के खिलाफ लड़ने वाले अमेरिकियों की सराहना करने के लिए यूनाइटेड वी स्टैंड नामक एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की और हमने मुसलमानों के खिलाफ नफरत व धार्मिक कट्टरता से निपटने के लिए एक अंतर-एजेंसी समूह की स्थापना की थी.


लिंडा थॉमस ग्रीन ने यह कहकर अपनी बात खत्म की कि मुसलमान रमजान के पवित्र महीने की तैयारी कर रहे हैं हमें कट्टरता और हिंसा को रोकने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए. उन्होंने कहा, "आइए हम यह यकीनी करने के लिए सब कुछ करें कि अगली बार जब हम इस्लामोफोबिया के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के लिए एक साथ आएं, तो हमारी दुनिया पहले से कहीं अधिक शांतिपूर्ण, सहिष्णु और न्यायपूर्ण हो."


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