वाशिंगटनः भारत के लिए एक अच्छी खबर है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के चार आतंकवादियों को वर्ल्ड टेररिस्ट घोषित कर दिया है, हालांकि इसके साथ ही एक निराशाजनक खबर ये है कि इस लिस्ट में वह आतंकी नहीं है, जिसे भारत कई सालों से एक आतंकवादी और भारत में मुंबई हमले का दोषी मानता रहा है.  अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका ने अलकायदा और पाकिस्तानी तालिबान समूहों के चार सदस्यों को वैश्विक आतंकवादी करार दिया है. उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन यह तय करेगा कि कोई भी आतंकवादी अफगानिस्तान की सरजमीन पर पैर पसारने में कामयाब न हो. 

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ये चार आतंकवादी हैं अब, वैश्विक आतंकवादी 
अमेरिका ने जिन आतंकवादियों को वैश्विक आतंकवादी करार दिया है, उनमें भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) का अमीर अध्यक्ष ओसामा महमूद, एक्यूआईएस का उप अमीर उपाध्यक्ष आतिफ याह्या गोरी और समूह में और लोगों को भर्ती करने का काम संभालने वाला मुहम्मद मारूफ शामिल है. वहीं, इसके अलावा पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा शूबे में आतंकवाद को पनाह देने वाले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कारी अमजद पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिए हैं. 

वैश्विक आतंकवादी करार देने से क्या होगा ?
ब्लिंकन ने कहा, ‘‘वैश्विक आतंकवादी करार दिए गए लोगों की संपत्तियां अब अमेरिकी अधिकार क्षेत्र के अधीन होंगी और सभी अमेरिकी व्यक्तियों को उनके साथ किसी भी लेनदेन में शामिल होने पर बैन लगा दिया गया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाइडन प्रशासन ऐसा कदम उठाएगा जिससे कोई भी आतंकवादी अफगानिस्तान में अपनी गतिविधियों को अंजाम न दे सके. उन्होंने कहा है कि ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं ताकि एक्यूआईएस और टीटीपी समेत दूसरे आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल अपने नापाक मंसूबों के लिए नहीं कर सके.
गौरतलब है कि सितंबर 2014 में स्थापित एक्यूआईएस एक इस्लामी उग्रवादी संगठन है, जिसका मकसद इस्लामी मुल्क की स्थापना के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत, म्यांमा और बांग्लादेश की सरकारों से जंग करना है.

हाफिज सईद का नाम नहीं 
हालांकि अमेरिका की इस कार्रवाई में हाफिज सईद का जिक्र नहीं है, जिसे भारत में 2008 में मुंबई हमले का दोषी और मास्टमाइंड माना जाता रहा है. भारत कई अंतररार्ष्ट्रीय मंचों पर हाफिज सईद को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग करता रहा है, लेकिन अमेरिका ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की जबकि अंतररार्ष्ट्रीय मंचों पर भारत के इन प्रयासों का चीन हमेशा से विरोध करता रहा है. अमेरिका के इस फैसले से निश्चित तौर पर पड़ोसी मुल्कों की सरजमीन से भारत विरोध में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगेगा. इस लिहाज से ये फैसला भारत के भी हित में है, लेकिन हाफिज सईद जैसे आतंकवादी के मामले में अमेरिका की चुप्पी यूएस के दोहरे रैवेया को दिखाता है.   


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