पानी पानी चीख रहा था प्यासा दिल, शहर ए सितम का कैसा ये दस्तूर हुआ!
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2241464

पानी पानी चीख रहा था प्यासा दिल, शहर ए सितम का कैसा ये दस्तूर हुआ!

Bihar Jharkhand Water Crisis: एक ओर सरकार लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन धरातल पर लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. पानी के लिए कई जगहों पर लोग कड़ी मशक्कत कर रहे हैं. 

बिहार और झारखंड में पानी की किल्लत

प्रसिद्ध शायर कलीम अख्तर का एक शे'अर है, पानी पानी चीख रहा था प्यासा दिल, शहर ए सितम का कैसा ये दस्तूर हुआ. बिहार और झारखंड के अधिकांश शहरों और गांवों में आजकल यही शे'अर चरितार्थ होता दिख रहा है. एक ओर सरकार लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन धरातल पर लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. पानी के लिए कई जगहों पर लोग कड़ी मशक्कत कर रहे हैं. आगे दिए गए तस्वीरों में आपको इस बात की तस्दीक हो जाएगी. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने इस साल की शुरुआत में बिहार और झारखंड के अलावा उत्तर प्रदेश के लिए अलर्ट दिया था, जिसमें कहा गया था कि इन तीनों राज्यों में 2024 में बारिश की कमी हो सकती है. इसका कारण गिनाते हुए विश्व मौसम विज्ञान संगठन का कहना था कि 2023 के मार्च में ला नीना खत्म हुआ था, जिसके बाद मॉनसून में अच्छी बारिश दर्ज की गई थी. इस बार विश्व मौसम विज्ञान संगठन का कहना है कि जुलाई तक ला नीना बन सकता है, क्योंकि अप्रैल 2024 में अन नीनो की विदाई होने के संकेत हैं. अब जब बारिश में कमी हो सकती है तो जाहिर है कि वैसे ही हालात अभी बनते दिख रहे हैं. बिहार और झारखंड के कई शहरों और गांवों में अब पीने के पानी के लिए भारी मशक्कत करते हुए लोगों को देखा जा सकता है. 

fallback

बेगूसराय में दम तोड़ रही हर घर नल योजना 

पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार आजकल चुनावी रैलियों में हर घर नल योजना की सफलता के खूब दावे कर रहे हैं पर बेगूसराय में यह योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जी न्यूज की टीम ने सदर प्रखंड के सुजा गांव में हर घर नल योजना का जायजा लिया. बताया गया कि जनवरी 2017 में यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना का यहां उद्घाटन किया था, लेकिन कुछ महीने बाद ही पानी की सप्लाई बंद हो गई. बरसों से पानी की आपूर्ति बंद है. भूगर्भ जल का स्तर भी नीचे जा चुका है, जिससे हैंडपंप से पानी निकालने में परेशानी हो रही है. जिले के सारे पंचायतों में यही​ स्थिति है. कहीं मोटर जला हुआ है तो कहीं पाइप टूटे पड़े हैं. बेगूसराय के डीएम रोशन कुशवाहा ने जी बिहार झारखंड की मुहिम की सराहना करते हुए कहा, अगर आपको पानी के संकट के बारे में कही पता चले तो जरूर बताइए. मैं हर जगह पीने के पानी की समुचित व्यवस्था करूंगा.

fallback

मुंगेर में तेजी से नीचे जा रहा भूगर्भ जलस्तर

तापमान बढ़ते ही मुंगेर में भू-गर्भीय जलस्तर में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. इस कारण लोगों के सामने पीने के पानी की समस्या आन खड़ी हुई है. यह समस्या धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर रही है. लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे हैं. वही गर्मी के कारण कई हैंडपंप, कुआं, तालाब आदि भी  सूख गए हैं. फिर भी इस समस्या के समाधान की दिशा में अबतक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. यह समस्या ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सता रही है. जिले के सदर प्रखंड के कुतलुपुर, जानकीनगर, शंकरपुर, मय, महुली, तारापुर दियारा, श्रीमतपुर, नौवागढ़ी उत्तरी, जाफरनगर, टीकारामपुर पंचायत आदि के लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं. 

यहां जलस्तर के नीचे जाने और हर घर नल योजना के धरातल पर सही से नहीं उतरने से लोग पीने के पानी के लिए परेशान हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि हम गरीब परिवार से आते हैं और हमारा खाना बनाने से लेकर सभी कार्य पानी के बिना बंद हो जाता है. दूर बहियार से हम लोग पानी लेकर आते हैं, तब कहीं घर में खाना बनता है. दो-तीन दिनों तक स्नान नहीं कर पाते हैं. इस बारे में पीएचडी के कार्यपालक अभियंता अविरंजन बताते हैं कि भू-गर्भीय जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. नल जल योजना के तहत डीप बोरिंग कर लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मुंगेर जिले में 9,373 सरकारी चापाकल हैं, जिसमें से 350 बंद हैं. 
fallback

बिहार के अरवल में 1 फीट से ज्यादा गिरा जलस्तर

अरवल जिले में एक महीने में 1 फीट 56 इंच तक जलस्तर में कमी दर्ज की गई है. बताया गया है कि इस माह में जिले का औसत जलस्तर 18 फीट से 20 फीट तक ही रहना चाहिए, जबकि इस बार औसत 25 फीट 64 इंच पहुंच चुका है. सोनभद्र बंशी प्रखंड और कुर्था प्रखंड क्षेत्र के दो पंचायतों में पानी की किल्लत हो गई है. लोग झुंड में एक ही चापाकल से पानी मुहैया करने में जुटे हुए हैं. ज़ी न्यूज़ की टीम सोनभद्र बंशी प्रखंड के पानी की समस्या से जूझ रहे गांव में पहुंची. सोनभद्र बंशी प्रखंड में जल स्तर का औसत 31 फीट 78 इंच है, जो वर्तमान में जल स्तर 40 फीट से भी ज्यादा पहुंच गई है. किशनपुर,मठियापुर, गंगापुर मखमलपुर चमंडी और बिथरा गांव के लोग पानी के लिए 2 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं. जल स्तर नीचे जाने का कारण पुनपुन नदी में हो रहा बालू का अवैध खनन हैं. 

fallback

सीवान के मदारपुर में नल जल योजना फेल

सीवान के लकड़ी नवीगंज के मदारपुर में भीषण गर्मी के बीच लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल योजना पूरी तरह से फेल साबित हो रही है, जिसको लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और 25 मई को होने वाले सीवान लोकसभा चुनाव में चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. गांव में नल जल योजना के तहत लगी पानी की टंकी महीनों से पूरी तरह से बंद पड़ी है और लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए जूझना पड़ रहा है. कहीं पाइप लगी है तो टोंटी नहीं, कहीं टोंटी लगी तो पाइप नदारद. कहीं पानी की टंकी लगी है तो मोटर खराब, कहीं सब कुछ लगा है तो घटिया समाग्री योजना को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रखंड स्तर पर शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती, साथ ही मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी जाती है, जिससे ग्रामीण किसी भी अधिकारी के खिलाफ जाने से डरते हैं. इसको लेकर ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. 

fallback

लातेहार में चुवाड़ी का पानी पीने को विवश हैं लोग

लातेहार जिले के सरयू प्रखंड के घासीटोला पंचायत के बीचमरवा गांव में जलसंकट की स्थिति बन गई है. वहां लोग नाले में चुवाड़ी खोदकर पानी पीने को विवश है. इस गांव में जलमीनार लगाए गए है लेकिन पिछले 2 माह से खराब पड़े हैं. चिलचिलाती गर्मी में लोगों को पीने के पानी के संकट से गुजरना पड़ रहा है. बताया जाता है कि बीचमरवा गांव के सभी हैंडपंप कई महीनों से ख़राब पड़े हैं. इस कारण ग्रामीणों को चुआड़ी का सहारा लेना पड़ रहा है. चुआड़ी का मटमैला पानी कपड़ा में छानकर लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं. बीचमरवा गांव के लोगों ने पेयजल की संटक से निजात पाने को लेकर जिला प्रशासन से गुहार लगाई है. 

नवादा में गहराया जल संकट, पानी के लिए तरसे लोग 

नवादा के मिस कॉल प्रखंड में जल संकट पूरी तरह से गहरा गया है. यहां लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. वाटर लेयर काफी नीचे चला गया है. इस कारण लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. सभी गांवों की कमोबेश यही समस्या है. मेसकौर गांव में तो ग्रामीण काफी दूर से पानी लाकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं. मुखिया रामानंद प्रसाद ने बताया कि गांव की आबादी लगभग पांच हजार है. इस गांव में जलापूर्ति के लिए सिर्फ एक बोरिग ग्राम रंका जलालपुर में है. विभाग के द्वारा नल जल के नाम पर खानापूर्ति की गई है. उन्होंने कहा, स्थानीय स्तर पर पेयजल संकट को लेकर अनेकों बार अफसरों से मिला, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला. उन्होंने कहा कि 15 दिन पहले विभाग के कार्यपालक अभियंता ने भी स्थल का निरीक्षण कर जल्द ही समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन दिया था. अब वो फोन भी रिसीव नहीं कर रहे हैं.

जी न्यूज की खबर के बाद गांव में पहुंचा टैंकर

नालंदा जिले में जी मीडिया की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह प्रखंड हरनौत के सरथा पंचायत के नीमा कौल गांव में पीने के पानी की समस्या की खबर को प्रमुखता से दिखाया गया था. जी मीडिया ने इस खबर को काफी प्रमुखता से दिखाया. उसके बाद डीएम शशांक शुभंकर ने खबर को गंभीरता से लिया और गांव में पानी का टैंकर भिजवाने के निर्देश दिए. डीएम ने नीमा कौल गांव में एक ट्यूबवेल गाड़ने के भी निर्देश दिए, जिस पर काम चल रहा है. ग्रामीणों ने जी मीडिया की इस पहल की सराहना की है. हालांकि इस पंचायत के कुछ इलाकों में अभी भी पानी की जटिल समस्या बरकरार है. उसे दूर करने के लिए स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई है.
 
जहानाबाद में पानी के लिए तरसे लोग, भटकने को मजबूर

बिहार के जहानाबाद में इन दिनों पीने के पानी के लिए लोग तरसने लगे हैं. मामला काको प्रखंड क्षेत्र के गोलखपुर गांव का है. वहां सुबह होते ही हैंडपंप पर पानी के लिए लोगों की भीड़ जमा हो जाती है. पानी लेने के लिए लोग आपाधापी करते रहते हैं. दरअसल 200 घरों की आबादी वाले इस गांव में 8 सरकारी हैंडपंप लगाए गए थे, लेकिन आलम यह है कि यहां एक चापाकल को छोड़कर सभी के सभी चापाकल बंद पड़े हैं. पिछले 3 दिनों से यहां नल जल भी सप्लाई नहीं हो रहा. लोगों ने बताया कि गांव में कई सरकारी हैंडपंप है, लेकिन सभी खराब पड़े हैं. ग्रामीणों की मानें तो यहां नल जल आधे गांव में ही आता है. इधर, कार्यपालक अभियंता ने बताया कि अभी संज्ञान में मामला आया है कि गोलखपुर गांव में चापाकल खराब है, जिसकी मरम्मती को लेकर टीम भेजी जा रही है. उन्होंने बताया कि अभी जिले में वैसी हालात नही कि टैंकर से पानी भेजा जाए.

रोहतास में पीने के पानी की समस्या विकराल

रोहतास जिले में पेयजल संकट गहराता जा रहा है. जिले के दक्षिणी इलाके पर्वतीय क्षेत्र में पड़ते हैं और इस इलाके में सालों भर पानी की समस्या रहती है. मई-जून में यहां के लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है. यह गांव जनजातीय लोगों की बस्ती है. जिला प्रशासन प्रभावित क्षेत्रों में टैंकर से पानी पहुंचाने का दावा तो करती है, लेकिन वह नाकाफी है. सासाराम नगर से बेहद करीब ताराचंडी के पास स्थित मोती तालाब बस्ती में भी पानी की घोर समस्या है. वैसे तो यहां तीन चापाकल हैं, लेकिन पानी सिर्फ एक चापाकल से प्राप्त होता है. वह भी चापाकल तेज गर्मी के कारण सूख जा रही है. लोगों का कहना है कि जो पानी मिल रही है, उसमें भी खारापन है. साल के 9 महीने यहां के लोग पानी की संकट झेलते हैं.

बोरिंग खराब है, दिन में एक ही टैंकर आता है

बात करते हैं रांची की. गर्मी के दिनों में रांची के मौसी बाड़ी जग्गन्नाथपुर इलाके में कुछ देर पहले ही टैंकर आया. कई लोगों को पानी मिला ही नहीं. लोगों का कहना था कि दिन में एक ही बार टैंकर आता है. किसी का गैलन भरता है तो किसी का नहीं. जितना पानी एक परिवार को चाहिए, उतना नहीं मिल पाता है. यहां का बोरिंग पिछले 15 दिनों से ख़राब है. 2000 हज़ार लीटर की टंकी है पर खाली है. घर—घर पानी सप्लाई वाला पाइप लगा है पर पानी है कि आता ही नहीं. एक कुआं है, जिसका पानी बहुत गंदा आता है. कई बार लोगों ने शिकायत की लेकिन कोई सुनने वाला नहीं. 

कोडरमा में गहराया जल संकट

बढ़ती गर्मी और चढ़ते पारे के साथ जल संकट भी गहराने लगा है।. कोडरमा जिले के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाके में जल संकट की समस्या दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है. कोडरमा के डोमचांच, मरकच्चो और सतगावां प्रखंड में दर्जनों गांव पूरी तरह से सुखे की चपेट में हैं. ये इलाके ड्राई जोन के रूप में चिन्हित हैं. डोमचांच प्रखंड के बंगाखलार, निमाड़ीह सखुआटांड और मसनोडीह आदि इलाकों में पेयजल की समस्या अत्यंत गंभीर है. इन इलाकों में रहने वाले लोग पूरी तरह से केशो नदी के जल पर निर्भर हैं. पीने के पानी से लेकर रोजमर्रा की जरूरत गांव की महिलाएं इसी नदी के पानी से पूरी करती हैं. 

जो इलाके ड्राई जोन के रूप में चिन्हित है, उन इलाकों में पेयजल के लिए तमाम इंतजाम भी किए गए हैं. डीप बोरिंग से लेकर सोलर आधारित जलापूर्ति की व्यवस्था है, लेकिन ग्राउंड वाटर नीचे चले जाने से सारे इंतजाम फेल हो चुके हैं. जिले में गहराते जल संकट पर उपायुक्त मेघा भारद्वाज ने कहा, ग्रामीण इलाकों में 15वें वित्त आयोग की राशि से छोटी-छोटी जलापूर्ति योजनाओं को दुरुस्त किया जा रहा है. इसके अलावा शहरी इलाकों में भी जलापूर्ति की नियमित मॉनिटरिंग हो रही है. हालांकि जिले के तीन प्रखंडों के ड्राई जोन के लिए उनके पास कोई ठोस रणनीति नहीं है. 

हजारीबाग में भगवान भरोसे खेतीबाड़ी 

हजारीबाग जिले के सदर प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र जुलजुल पहाड़ी पर भी जल संकट से जूझ रही है. यहां पानी की कमी से कई एकड़ भूमि पर की जाने वाली खेती भगवान भरोसे है. सदर प्रखंड के सखिया पंचायत अंतर्गत कानी मुंडावर गांव की बात करें तो वहां जल जीवन मिशन के तहत वॉटर टैंक तो लगा दिए गए लेकिन जल स्तर नीचे चले जाने से टैंक में पानी नहीं पहुंच पा रहा है. इससे लोगों को बहुत दूर से पानी लाना पड़ता है. इसी गांव में लगे वॉटर टैंक आज तक पानी पहुंचा ही नहीं. बस टैंक बनाकर छोड़ दिया गया है उसे चालू तक नहीं किया गया है. आदिवासी बाहुल्य गांव के लोग दो किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाते हैं. क्षेत्र में लगे कई हैंडपंप खराब पड़े हैं.

झारखंड के रामगढ़ में पानी के लिए हाहाकार 

रामगढ़ के ग्रामीण इलाकों में लोग कुंआ और नदी का दूषित जल पीने को मजबूर हैं. रामगढ़,के पतरातु, दुलमी, गोला और चितरपुर प्रखंड के ग्रामीण सुबह होते ही पानी के तलाश में भटकने लगते हैं. नदी और तालाब इस साल की भीषण गर्मी में सुख चुके हैं. गोला प्रखंड के बनिया टोला में लगभग 2 वर्षों से नल का पानी नहीं आ रहा है. महिलाए दूर दूर से पानी लाती हैं, तब खाना और पानी से संबंधित काम होता है. लोगों का कहना है, लगभग दो सालों से पानी नहीं मिल रहा है. जब जब चुनाव आता है, नेता लोग वादा करके चले जाते हैं और फिर लौटकर नहीं आते. वही, पतरातु प्रखंड में पानी के लिए महिलाएं बर्तनों के साथ लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करती दिखीं. वही हाल दुलमी और चितरपुर का दिखा.

पहाड़ से उतरकर पानी की व्यवस्था करते हैं ग्रामीण

दुमका में भीषण गर्मी के साथ ही पीने के पानी की समस्या से लोग परेशान हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है. एक तरफ जिला प्रशासन ने पानी की समस्या दूर करने के लिए वाटर गैंग बनाई है तो दूसरी ओर सरकार की ओर से इसके लिए कई स्कीम भी चलाई गई हैं. फिर भी लोग कुआं और झरने का पानी पीने को मजबूर हैं. सरकार की ओर से लगाए गए सोलर पम्प काम नहीं कर रहे हैं. दुमका के गोपीकांदर काठीकुंड, मसलिया, शिकारीपाड़ा आदि प्रखंड के कई गांवों में पीने का पानी की किल्लत भयावह समस्या बनकर उभरी है. काठीकुंड प्रखंड के खिलौड़ी गांव का बांसकुदरी और चुनरभूंज टोला में पानी की घोर समस्या है. यहां कुल 63 आदिवासी परिवार रहते हैं. आजादी के 77 वर्ष बाद भी इस टोले में एक भी हैंडपंप नहीं है. इस कारण इसान के साथ मवेशियों के लिए भी पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है. ग्रामीण वर्षों से गुहार लगाकर थक चुके हैं. 

बांसकुदरी टोला के ग्रामीण करीब दो किलोमीटर पहाड़ से नीचे पैदल चलकर नमोडीह गांव से पीने का पानी लाते हैं. चुनरभूंज टोला के ग्रामीण पहाड़ के नीचे करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर खेत में स्थित कुएं से पीने का पानी निकालते हैं. महिलाएं हर दिन माथा में पानी का बर्त्तन और गोदी में छोटे-छोटे बच्चो को लेकर इतनी तपती गर्मी में परिवार के लिए पीने का पानी की व्यवस्था करती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पानी के बिना आप नहीं रह सकते. इसलिए जोखिम तो उठाना ही पड़ता है.

झारखंड के गोड्डा में रियलि​टी चेक 

एक ओर जहां सरकार पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है तो दूसरी ओर, इसका लाभ गोड्डावासियों को मिलता नहीं दिख रहा है. गोड्डा जिले के गांवों में हालात ज्यादा खराब दिख रहे हैं. जी मीडिया की टीम ने गोड्डा के नए कलेक्ट्रेट के पास के गांव धर्मोडीह और पांडू बथान का जायजा लिया. पाया गया कि कागजों में सभी गांवों में पानी पहुंच गया है पर पानी नहीं आ रहा. आज भी सच्चाई यही है कि तमाम खर्च के बाद भी चापाकल ही पीने के पानी के लिए एकमात्र सहारा रह गया है. कुछ चापाकल की हालत भी अच्छी नहीं मिली. कुछ जगहों पर सोलर पावर बेस्ड टंकी लगे मिले, जो अच्छी हालत में मिले थे.

जामताड़ा में आज भी डाढ़ी का पानी पीते हैं लोग 

जामताड़ा के नारायणपुर प्रखंड के बूटबेरिया पंचायत के नीमतांड और डुमरीटोला के लोग आज भी डाढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. इस पानी के लिए भी उन्हें 1 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. जी मीडिया की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो हैरान करनेवाली तस्वीर सामने आई. दूर खेत में बने डाढ़ी का पानी निकालने के लिए बच्चियां डाढ़ी के नीचे उतरकर पानी निकालती हैं. साफ पानी फिर भी नहीं मिलता. दोनों टोले की आबादी बहुत अधिक नहीं है लेकिन यहां पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा नहीं है. दोनों टोले में एक-एक चापाकल है, जो पर्याप्त पानी नहीं देता. लोगों का कहना है कि पानी के लिए एक किलोमीटर दूर तक आना पड़ता है. सरकार या प्रशासन हमारी समस्या का समाधान नहीं करते. महिलाओं ने कहा कि इस चुनाव में नेता वोट मांगने आएंगे तो उन्हें सबक सिखाया जाएगा. कई जगह लोगों ने वोट बहिष्कार की भी बात कही.

पाकुड़ में स्कूल के बच्चों के लिए पीने का पानी नहीं

पाकुड़ जिले के पाकुड़िया प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित प्राथमिक विद्यालय पाकुड़िया में लाखों रुपये से बने पाइपलाइन जलापूर्ति योजना की सुध लेनेवाला कोई नहीं है. इसके ख़राब होने से स्कूल के बच्चों को भी पानी नहीं मिल पा रहा है. विद्यालय के प्रधान शिक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने बताया, ओवरहेड टंकी सह सोलरचालित यह जलमीनार विगत पांच वर्षों से खराब पड़ा है. यहां एक सहायक शिक्षक और कुल 70 बच्चे हैं, जिसको पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसे ठीक कराने के लिए कई बार विभाग को लिखित दिया गया पर हालात में सुधार नहीं हुआ. इस भीषण गर्मी में काफी परेशानी हो रहा है. ऐसे में अगर जलापूर्ति व्यवस्था को जल्द ठीक नही कराया गया तो स्कूल संचालन में काफी दिक्कतें हो सकती हैं. प्रधानाचार्य प्रमोद कुमार सिंह ने इसे अविलंब ठीक कराने की मांग की है. स्कूल के अध्यक्ष रहीम अंसारी ने बताया, संबंधित विभाग को कई बार सूचित किया गया है. अब तक इस टंकी को ठीक नहीं किया गया है. इसे जल्द ठीक कर दिया जाएगा.

दलाली की भेंट चढ़ गई वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना

एक तरफ जहां झारखंड सहित पूरा देश चुनावी चहलकदमी में मशगूल है और सत्ता पाने के लिए लोक लुभावने वादे किए जा रहे हैं, वहीं घाटशिला के नक्सल फोकस एरिया के रूप में चिन्हित गुराबन्दा प्रखंड के भालकी गांव के लोग पीने की पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. तकरीब 3 हजार आबादी वाले इस गांव के लोग रोज पीने की पानी की जुगत में रहते हैं. यहां सबसे पहले करोड़ों रुपये की लागत से सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना को लांच किया गया था. इस योजना में स्वर्णरेखा नदी से जल लाकर इसे शुद्ध करके आसपास के दर्जनों गांवों को स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की बात कही गई थी, लेकिन हकीकत में यह योजना दलाली की भेंट चढ़ गई और निर्माण काल से ही यहां से अच्छे से पानी की आपूर्ति नहीं हो पाई है. अभी पिछले एक साल से बनाया गया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सफेद हाथी साबित हो रहा है और ग्रामीणों को मुंह चिढा रहा है.

बेगूसराय से राजीव कुमार, घाटशिला से रणधीर कुमार सिंह, मुंगेर से प्रशांत कुमार, रांची से धीरज कुमार, हजारीबाग से यादवेंद्र सिंह मुन्नू, रामगढ़ से झूलन अग्रवाल, दुमका से सुबीर चटर्जी, सीवान से अमित कुमार सिंह, लातेहार से संजीव कुमार गिरि, नालंदा से ऋषिकेश, जहानाबाद से मुकेश कुमार की रिपोर्ट, सासाराम से अमरजीत कुमार, पाकुड़ से सोहन प्रमाणिक की रिपोर्ट

Trending news