बिहार के इस गांव में पेड़ों के साथ खेली जाती है इको फ्रेंडली होली, जानें वजह
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बिहार के इस गांव में पेड़ों के साथ खेली जाती है इको फ्रेंडली होली, जानें वजह

Environment Lover: इस छोटे से गांव पिपरा के निवासी गजेंद्र यादव पिछले कई वर्षों से पौधरोपण का अलख जगा रहे हैं. अब तक करीब 10 लाख से ज्यादा वृक्ष लगा चुके गजेंद्र बताते हैं कि उन्होंनें पेड़ पौधों के नाम अपना जीवन समर्पित कर दिया है. हम हर साल की तरह इस साल भी पेड़ पौधों के साथ होली मना रहे हैं.

बिहार के इस गांव में पेड़ों के साथ खेली जाती है इको फ्रेंडली होली, जानें वजह

बगहा: बिहार के बगहा में पेड़ पौधों के साथ अनोखी होली मनाई गई है. पारम्परिक तरीके से इलाके के लोग यहां वृक्षों के साथ होली का पर्व धूमधाम से मना रहे हैं. दरअसल, बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे नरवर बरवल पंचायत अंतर्गत पिपरा गांव में पर्यावरण संरक्षण को लेकर ग्रामीण विगत 15 वर्षों से यहां वृक्षों के साथ होली का त्यौहार मनाते चले आ रहे हैं. इस बार भी होली में आज पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ पौधों को रंग गुलाल लगाया और पारंपरिक होली गीत गाकर बुराई पर अच्छाई का संदेश दिया. इस इको फ्रेंडली होली को देखकर आप भी होली के रंग में सराबोर हो जाएंगे.

देश भर में आज रंगों के त्योहार होली की धूम मची है. चहुओर लोग रंग, गुलाल लगाकर एक दूसरे को बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते होली के जश्न में डूबे हैं. देश के किसी कोने में लठमार होली खेली जा रही है तो कहीं कुर्ता फाड़ होली की धूम है. इसी बीच बिहार के बगहा में पेड़ों के साथ अनोखी होली मनाई जा रही है. पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव की अगुवाई में यहां के लोगों ने पेड़ पौधों के साथ होली मनाई और जीवनदायिनी वृक्षों का आभार जताया. बताया जा रहा है कि बगहा के बरवल पिपरा गांव स्थित आईपीएस विकास वैभव चौराहे पर पेड़ पौधों के साथ होली मनाकर लोगों ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया.

दरअसल, दिल के मरीज पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव करीब डेढ़ दशक से पेड़ पौधों के साथ होली, दीवाली और रक्षा बंधन का त्योहार मनाते चले आ रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए दस लाख से अधिक पेड़ पौधे लगाकर यहां मुहिम चला रहे हैं. जन्मजात दिल के मरीज पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव के साथ गांव और आस-पास के लोग जुड़ रहे है. उनके इस अनूठी पहल की खूब सराहना कर रहे हैं क्योंकि इन पेड़ पौधों से हमारा जीवन चल रहा है. लिहाजा गांव के लोग भी गजेंद्र के कदमताल होकर पेड़ पौधों की पूजा अर्चना कर उनके साथ रंग और गुलाल लगाकर होली का पर्व मनाते दिखे. 

खास बात यह है कि इस छोटे से गांव पिपरा के निवासी गजेंद्र यादव पिछले कई वर्षों से पौधरोपण का अलख जगा रहे हैं. अब तक करीब 10 लाख से ज्यादा वृक्ष लगा चुके गजेंद्र बताते हैं कि उन्होंनें पेड़ पौधों के नाम अपना जीवन समर्पित कर दिया है. हम हर साल की तरह इस साल भी पेड़ पौधों के साथ होली मना रहे हैं. पेड़ पौधे हमारे लिए सब कुछ हैं. पेड़ पौधे हैं तो हम हैं. लिहाजा आप सब से भी अपील है कि वृक्षों को बचाएं और पेड़ पौधे लगाएं.

बता दें कि पेड़ पौधों के संरक्षण में गजेंद्र का साथ दे रहे ग्रामीणों का कहना है कि हमारे बीच पेड़ पौधे हैं तो ही हमारी खुशियां हैं. इन्हीं से मानव जीवन सुरक्षित है. यहीं वज़ह है की सूबे के इकलौते वाल्मीकि टाईगर रिजर्व प्रबंधन प्रशासन का भी इनको भरपूर सहयोग मिलने लगा है. तभी तो दस लाख से अधिक वृक्षों को लगाकर कृतिमान स्थापित करने वाले गजेंद्र को राज्य सरकार सम्मानित कर चुकी है. पंचायत की मुखिया सकीना खातून गजेंद्र यादव से युवाओं को सबक लेने की बात कह रहीं इसे सबसे बेहतर कार्य मान रहीं हैं.

गजेंद्र यादव ने अपना सब कुछ पेड़ पौधों के नाम कर दिया है. भोजन पानी के बिना इंसान कुछ समय तक जीवित रह सकता है लेकिन हवा के बिना किसी भी मनुष्य को जीवित रहना संभव नहीं है. हवा अपने वश में नहीं है. वृक्ष जहां हैं वहां हवा को आना है इसलिए वृक्ष का होना जरूरी है. सामाजिक कार्यकर्ता गजेंद्र यादव के इस अनूठी प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है.

इनपुट- इमरान अजीजी

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