Friendship Day 2022: मालवा की धार और चंबल का पानी, कुछ ऐसा है विजयवर्गीय-दिग्विजय का याराना
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Friendship Day 2022: मालवा की धार और चंबल का पानी, कुछ ऐसा है विजयवर्गीय-दिग्विजय का याराना

आज दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे 2022 (Friendship Day 2022) की धूम देखने को मिल रही है.  ऐसे में भारत में राजनेताओं के बीच इस दिन को सेलिब्रेट करने का चलन ना के बराबर ही देखने को मिला है.  अब जब बात दोस्ती की चल ही चुकी है तो कट्टर विरोधी कहे जाने वाले नेता कैलाश विजयवर्गीय (Kailas

Friendship Day 2022: मालवा की धार और चंबल का पानी, कुछ ऐसा है विजयवर्गीय-दिग्विजय का याराना

नई दिल्ली: आज दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे 2022 (Friendship Day 2022) की धूम देखने को मिल रही है.  ऐसे में भारत में राजनेताओं के बीच इस दिन को सेलिब्रेट करने का चलन ना के बराबर ही देखने को मिला है.  अब जब बात दोस्ती की चल ही चुकी है तो कट्टर विरोधी कहे जाने वाले नेता कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya)  और दिग्विजय सिंह (digvijay singh) की दोस्ती भी सियासी गलियारों में हमेशा सुर्खियों में रही है. इस दोस्ती की शुरुआत तब होती है, जब दिग्विजय सिंह प्रदेश के सीएम थे.

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दिग्विजय सिंह ने कैलाश को बनाया ताकतवर!
दरअसल जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे तब, इंदौर की राजनीति में सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) जिन्हें ताई के नाम से भी जाना जाता है. उनका वर्चस्व हुआ करता था. इस समय कैलाश विजयवर्गीय इंदौर में युवा नेता होने के साथ ही वो इंदौर के महापौर भी थे. ऐसे में कहा जाता है ताई को कमजोर करने के लिए दिग्गी राजा ने कैलाश विजयवर्गीय को चुना था.

दिग्विजय की मदद से कैलाश बने महापौर
कैलाश विजयवर्गीय के महापौर बनने में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का हाथ माना जाता है. क्योंकि जब बीजेपी ने विजयवर्गीय को महापौर का टिकट दिया था तो कांग्रेस ने उनके सामने अपना प्रबल दावेदार को बैठाकर सुरेश सेठी को समर्थन दे दिया. तब 69 वार्डों में फ्री फॉर ऑल की तर्ज पर पार्षद पद के उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. ये फैसला दिग्विजय सिंह सरकार ने लिया था और माना जाता है कि इसी फैसले की वजह से विजयवर्गीय महापौर बन पाए थे.

दिग्विजय के कार्यकाल में कैलाश ने पहुंचाया फायदा
बता दें कि यह वो वक्त था जब दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब केंद्र में भाजपा सरकार थी. ऐसे में विजयवर्गीय ने कई योजनाएं केंद्र से मंजूर कराने की कोशिश शुरू की तो दिग्गी राजा ने उनका विरोध करने के बजाए मदद की और बाण्ड प्रोजेक्ट, नर्मदा तृतीय चरण जैसी योजनाएं प्रदेश में आ पाई थीं. हालांकि कुछ कांग्रेसी इस बात का विरोध भी कर रहे थे, लेकिन किसी में खुल कर कैलाश विजयवर्गीय और दिग्गी की केमिस्ट्री के खिलाफ बोलने की हिम्मत भी नहीं कर पाया था.

मीडिया के सामने करते है एक-दूसरे पर हमला
हालांकि दिग्विजय सिंह और कैलाश विजयवर्गीय के बीज सियासी खींचतान किसी से छुपी नहीं है, दोनों को जब मौका मिलता है तब एक-दूसरे पर सियासी बाण छोड़ ही देते है. हालांकि दोनों एक दूसरे पर निजी हमले कम ही करते है, और एक-दूसरे के सवालों को हंसकर टाल जाते हैं. लेकिन जब कभी मिलते है तो दोनों का दोस्ताना किसी से छुपा नहीं है. जो साल 2020 में भी देखने को मिला था.

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कैलाश ने पहनाई मालवी टोपी
साल 2020 में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी की टीम देश के सबसे साफ शहर इंदौर की स्मार्ट सड़क का जायजा लेने पहुंची थी. तब इसमें कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी शामिल थे. उसी दौरान जब कैलाश विजयवर्गीय भी पहुंचे तब दिग्विजय सिंह ने आगे बढ़कर कैलाश विजयवर्गीय को गले लगा लिया था. इसके बाद विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह को मालवी पगड़ी पहना दी थी.

मतभेद हैं मनभेद नहीं
जब भी दोनों नेताओं ने एक दूसरे से मुलाकात की है तब इनकी मुलाकात प्रदेश भर में चर्चा का विषय बनी है. हालांकि दोनों के रिश्ते पर जब एक बार कैलाश विजयवर्गीय से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि ये एमपी की खासियत है कि राजनेताओं के बीच भले ही मतभेद हो लेकिन व्यक्तिगत संभंध हमेशा अच्छे रहते हैं.

वर्तमान राजनीतिक स्थिति
बता दें कि ये दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. कैलाश विजयवर्गीय जहां अभी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं, तो दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहने के साथ अभी राज्यसभा सांसद हैं.

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