MP News: इंदौर का एक और कारनामा, जनता की प्यास बुझाने के लिए लाया गजब का वाटर सेविंग मॉडल
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MP News: इंदौर का एक और कारनामा, जनता की प्यास बुझाने के लिए लाया गजब का वाटर सेविंग मॉडल

MP News: इंदौर शहर ने पानी की समस्या को हल करने के लिए शहर भर में रिचार्ज शाफ्ट लगाए जा रहे हैं. इनकी मदद से ग्राउंडवाटर बढ़ाया जाएगा. जानिए यह कैसे काम करता है और ये कहां-कहां लगाया जाएगा. 

MP News: इंदौर का एक और कारनामा, जनता की प्यास बुझाने के लिए लाया गजब का वाटर सेविंग मॉडल

Madhya Pradesh NEWS: प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की सफाई तो हो गई, पर पानी की समस्या बनी हुई है. गर्मी आते ही शहर के कई इलाके पानी की कमी से परेशान हो जाते हैं. इस पानी की समस्या को हल करने के लिए शहर भर में रिचार्ज शाफ्ट लगाए जा रहे हैं. इनकी मदद से इंदौर के ग्राउंड वाटर का लेवल बढ़ाया जाएगा. चलिए फिर जानते हैं कि कहा यह लगाए जाएंगे और कहा इनका लगना मुमकिन नहीं.

ग्राउंडवाटर का लेवल बढ़ाने के लिए शहर भर में 500 रिचार्ज शाफ्ट लगाए जाने हैं. इनमें से 200 रिचार्ज शाफ्ट शहर के 22 तालाबों के आसपास लगाए जाने हैं. इनको लगाने के लिए तालाबों के कैचमेंट एरिया में भी सुधार किया जा रहा है. तालाबों के आसपास सॉफ्ट इसलिए लगाए जा रहे हैं ताकि तालाब गर्मी में भी साथ दे सकें.

इन जगहों पर बनकर तैयार
रिचार्ज शाफ्ट लगाने का काम अलग अलग फेसों में चल रहा है. कुछ क्षेत्रों का सर्वे हो चुका है. कुछ का बचा है, लेकिन इन सब के बीच शहर के नेहरू स्टेडियम और नवरतन बाग में सॉफ्ट बनकर तैयार भी हो चुके हैं. यह दोनों सॉफ्ट एक सहयोगी संस्था की मदद से बनाए गए हैं. इन दोनों जगहों का पानी बीआरटीएस पर बह निकलता था. इसे रोकने के लिए यह शॉफ्ट बनाए गए हैं.

यहां सर्वे हो चुका
नगर निगम ऐसी जगहों पर रिचार्ज शाफ्ट बनवा रहा है जहां पानी भर जाता है. शाफ्ट लगाने के लिए टेक्निकल टीम अब तक मनबाग, वंडर्स क्लब, नेहरू स्टेडियम, पलसीकर कॉलोनी, नवरतन बाग, विज्ञान नगर के पीछे का मैदान, स्कीम 103, लोहामंडी को मिला कर 37 जगहों का सर्वे कर चुकी है. इनमें से 15 जगह ऐसी हैं, जहां इसको लगाया जा सकता है.

यहां लगाना मुमकिन नहीं
देवी अहिल्या फार्मेसी पर 30 मीटर पर काली मिट्टी है. इसके बाद पीली मिट्टी है. यह मिट्टी पानी को रोकती है. इसलिए वहां शॉफ्ट नहीं बनाए जा सकते. वहीं नौलखा और सीपीडब्ल्यूडी एरिया में भी दिक्कत है. यहां गंदा पानी जमीन में रिसकर जा सकता है. इसलिए यहां भी शॉफ्ट नहीं बनाया जाएगा. ऐसी ही दिक्कतें लोहामंडी,आरएपीटीसी गार्डन,  वेंकटेश विहार कॉलोनी और पुलिस लाइन जेल रोड में भी देखने को मिल रही हैं.

इंदौर को समझिए
इंदौर पठार पर बसा हुआ है. बेसाल्ट चट्टान वाले इस इलाके में काली और पीली मिट्टी भी पाई जाती है. कहीं-कहीं तो वैस्क्युलर बेसाल्ट भी पाई जाती है. इस कारण पानी जमीन में अंदर तक जा नहीं पाता है. अन्नपूर्णा जैसे क्षेत्रों में तो 10 फीट पर ही पानी है. 

रिचार्ज शॉफ्ट क्या है और कैसे काम करता
रेन वाटर हार्वेस्टिंग में घरों का पानी पाइप के जरिए जमीन में उतारा जाता है, लेकिन वह कम छोटी जगह के लिए होता है. जब जगह 2 से 3 लाख  वर्ग फीट की हो तो रिचार्ज शॉफ्ट को काम में लाया जाता है. और इसके जरिए पानी जमीन में उतारा जाता है.  जहां वाटर कंटैमिनेशन की दिक्कत है और जहां मिट्टी की परतें ज्यादा है वहां शॉफ्ट नहीं बनाया जा सकता. जब  10 मीटर से ज्यादा गहरी परत हो तो पानी को जमीन में उतारना मुश्किल हो जाता है. वाटर कंटैमिनेशन की दिक्कत वाले क्षेत्रों में शॉफ्ट नहीं बनाया जाता,बल्कि ऐसी जगह को चुना जाता है जहां पानी भर जाता है.

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