NCERT की किताबें अनिवार्य करने को लेकर उत्तराखंड में पब्लिक स्कूल और सरकार आमने-सामने है. NCERT की किताबें अनिवार्य करने के खिलाफ स्कूल संचालक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और स्कूल बंद करने की चेतावनी दी है.
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देहरादून: NCERT की किताबें अनिवार्य करने को लेकर उत्तराखंड में पब्लिक स्कूल और रावत सरकार आमने-सामने है. NCERT की किताबें अनिवार्य करने के खिलाफ स्कूल संचालक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और स्कूल बंद करने की चेतावनी दी है. गुरुवार (29 मार्च) को गांधी पार्क के बाहर यूनाइटेड फोरम ऑफ अनएडेड प्राइवेट स्कूल के बैनर तले करीब 1800 प्राइवेट स्कूल विरोध में शामिल हुए हैं. स्कूल संचालकों का कहना है कि सभी स्कूलों में NCERT लागू करने का फैसला ठीक नहीं है. सरकार यह फैसला जबरन स्कूलों पर थोप रही है. स्कूल संचालकों का कहना है कि उन्हें NCERT किताबों को लेकर ऐतराज नहीं है, लेकिन सरकार को चाहिए इसके साथ-साथ स्कूली किताबों को भी लागू करने दे.
सरकार से अपनी मांगों को लेकर लिखित कार्रवाई का आश्वासन
NCERT पाठ्यक्रम को लागू करने में क्या समस्या है? इसको लेकर प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि रिजल्ट के मामले में निजी स्कूलों ने अब तक बहुत अच्छा परफॉर्म किया है. इसके बावजूद सरकार पुराने पाठ्यक्रम वाली NCERT किताबों को जबरन स्कूलों में लागू कर रही है. प्रैक्टिस के लिए सवाल नहीं होने से छात्रों को परेशानी होगी. निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि, यदि सरकार मांगों पर लिखित रूप में कार्रवाई नहीं करेगी तो उन्हें स्कूलों को बंद कर हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
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बाजार में NCERT किताबों का अभाव है- निजी स्कूल संचालक
NCERT विवाद को लेकर दून इंटरनेशनल स्कूल संचालकों का कहना है कि कई भी निजी स्कूल NCERT किताबों के खिलाफ नहीं है, लेकिन सीमित किताबों में रखे जाने स्कूल और छात्र दोनों को परेशानी होगी. स्कूल संचालकों का यह भी कहना है कि बाजार में NCERT किताबों का भी अभाव है. ऐसे में पढ़ाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, इस पूरे मामले में छात्रों के अभिभावक सरकार के साथ खड़ी है. उनका कहना है कि निजी स्कूल किताबों के नाम पर अभिभावकों से जमकर उगाही करती है. ऐसे में सरकार का फैसला निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर लगाम लगाकर रखेगा.