उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर SGRR मेडिकल यूनिवर्सिटी ने फीस बढ़ाने का फैसला वापस लिया
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उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर SGRR मेडिकल यूनिवर्सिटी ने फीस बढ़ाने का फैसला वापस लिया

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर SGRR मेडिकल यूनिवर्सिटी ने फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले लिया है. इसी हफ्ते SGGR मेडिकल यूनिवर्सिटी समेत कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने कैबिनेट की तरफ से लिए गए फैसले के बाद अचानक से फीस पांच गुना तक बढ़ा दी थी.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि किसी को मनमानी नहीं करने दी जाएगी. (प्रदर्शन करते छात्र)

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर SGRR मेडिकल यूनिवर्सिटी ने फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले लिया है. इसी हफ्ते SGGR मेडिकल यूनिवर्सिटी समेत कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने कैबिनेट की तरफ से लिए गए फैसले के बाद अचानक से फीस पांच गुना तक बढ़ा दी थी. अचानक से फीस बढ़ाए जाने के विरोध में छात्र और उनके अभिभावक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. छात्रों का प्रदर्शन रंग लाई और शुक्रवार (30 मार्च) को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को स्टेट कोटे की सीटों पर फीस तय करने का अधिकार देने का निर्णय वापस ले लिया. कैबिनेट में लिए गए फैसले को वापस लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को मनमानी नहीं करने दी जाएगी. सरकार मेडिकल स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर गंभीर है. उनकी सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा.

  1. स्टेट कोटे की सीटों की फीस तय करने का मिला था अधिकार
  2. 12 मार्च को रावत कैबिनेट में लिया गया था यह फैसला
  3. फीस बढ़ाने के बाद से अनशन पर थे मेडिकल छात्र

क्या है पूरा मामला?
12 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की कैबिनेट बैठक हुई थी. उस बैठक में यह फैसला लिया गया था कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को स्टेट कोटे की सीटों पर फीस तय करने का अधिकार दिया जाए. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने सरकारी आदेश के बाद मनमानी करते हुए फीस करीब पांच गुना बढ़ा दी. अचानक से पांच गुना फीस बढ़ा देने से छात्र परेशान हो गए. परेशान छात्र फीस बढ़ोतरी के विरोध में प्रदर्शन करने लगे.

 

 

लगातार प्रदर्शन कर रहे थे SGRR मेडिकल कॉलेज के छात्र
प्रदर्शन कर रहे SGRR मेडिकल कॉलेज के छात्रों का कहना है कि जिस वक्त कॉलेज में एडमिशन लिया था, उस वक्त सालाना फीस करीब पांच लाख रुपए थी. अब इसे बढ़ाकर 19 लाख रुपए सालाना कर दी गई है. पिछले दो दिनों से छात्र कॉलेज के गेट पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में उनके अभिभावक भी पहुंच चुके हैं. फीस बढ़ाने को लेकर कॉलेज प्रशासन का कहना है कि सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने का अधिकार दिया है. हम अपनी फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं.

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12 मार्च को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था फैसला
इस बाबत 12 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की कैबिनेट बैठक हुई थी. उसी बैठक में यह फैसला लिया गया था. इस फैसले को लेकर कैबिनेट बैठक में कहा गया, चूंकि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज खुद यूनिवर्सिटी हैं, इसलिए MD (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) और MS(मास्टर इन सर्जरी) की पढ़ाई के लिए फीस निर्धारण का अधिकार देने का फैसला लिया गया. 16 मार्च को एडमिशन एंड फीस रेगुलेटरी कमेटी ने कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दे दी. मंजूरी मिलने के बाद MD और MS कोर्स की फीस करीब तीन गुना बढ़ाकर 24-30 लाख रुपए कर दी गई. पहले इस कोर्स के लिए फीस 8-10 लाख रुपए थी.

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इन कॉलेजों ने बढ़ाई थी फीस
फीस बढ़ाने में देहरादून के स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी का हिमालयन मेडिकल कॉलेज, SGRR यूनिवर्सिटी का SGRR मेडिकल कॉलेज और सुभारती यूनिवर्सिटी का सुभारती मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. फीस बढ़ाने के बाद पीजी कोर्स जो अभी तक 30 लाख में पूरा हो जाता था, उसकी फीस अब 1 करोड़ रुपए हो गई है. फीस बढ़ाने के अलावा कॉलेजों ने हॉस्टल फीस भी अलग से जोड़ने की तैयारी कर रही है.

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एक फॉर्म की वजह से मझधार में छात्र और अभिभावक
MBBS के छात्र जो विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उनका कहना है कि एडमिशन के वक्त उन लोगों से एक फॉर्म भराया गया था, जिसमें लिखा था कि अगर कोर्स के दौरान फीस बढ़ती है तो उन्हें बढ़ी हुई फीस देनी होगी. इसलिए, कॉलेज ने स्टेट कोटे की फीस बढ़ा दी है. फीस अचानक से पांच गुना बढ़ा दी गई है. भरे गए शपथपत्र के मुताबिक अगर कोई छात्र अपनी सीट छोड़ता है तो उन्हें पूरे कोर्स की फीस चुकानी होगी. छात्रों के पास आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. ये छात्र ऐसे भंवर में फंस गए हैं, जिन्हें निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

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